PSU Banks

  • निवेशकों का बढ़ता भरोसा
  • IBC कानून से डिफाल्टर प्रमोटरों में फैली दहशत

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मुंबई. एक लंबे अर्से बाद सरकारी बैंकों यानी पीएसयू बैंकों (PSU Banks) के ‘अच्छे दिन’ आते दिखाई दे रहे हैं। डूबत कर्जों (NPA) के संकट से उबर कर अब सभी 11 सरकारी बैंकों की वित्तीय मजबूत हो रही है। विगत वर्षों में बढ़ते एनपीए का संकट झेलने और सरकारी पूंजी की मदद से नैया पार करने वाले सरकारी बैंक 5 साल बाद मुनाफे (Profit) में आए हैं। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सभी सरकारी बैंकों का सम्मिलित मुनाफा 31,817 करोड़ रुपए रहा। जबकि इससे पिछले वर्ष के दौरान इन बैंकों को 26,016 करोड़ रुपए का घाटा (Loss) उठाना पड़ा था। 

सम्मिलित शुद्ध ‘एनपीए’ भी कम होकर 3।1% के बेहतर स्तर पर आ गया है, जो दो साल पहले 9% के जोखिमपूर्ण स्तर पर था। चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में भी सभी सरकारी बैंकों ने अपना एनपीए घटाते हुए अच्छा-खासा शुद्ध मुनाफा कमाया है और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2021) में भी मुनाफे में वृद्धि की उम्मीद है।

बिजनेस और मुनाफा बढ़ाने में सफल

विश्लेषकों का मानना है कि एनपीए संकट से बाहर निकलने के साथ ही सरकारी बैंकों की विलय प्रक्रिया (Merger Process) भी पूरी हो चुकी है और मर्जर का इन्हें फायदा भी मिलने लगा है। कोरोना महामारी की दोनों लहर का बखूबी सामना करने के साथ सरकारी बैंक टेक्नोलॉजी (Technology) पर फोकस करते हुए फिर से अपना बिजनेस और मुनाफा बढ़ाने में सफल हो रहे हैं। यही कारण है कि सरकारी बैंकों पर देशी-विदेशी निवेशकों (Investors) का भरोसा फिर बढ़ने लगा है और इनके शेयरों में तेजी का रूख बन रहा है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि अधिकांश सरकारी बैंकों के शेयर अपनी बुक वैल्यू (Book Value) से भी लगभग आधे दाम पर चल रहे हैं। इनके विपरीत बड़े प्राइवेट बैंकों के शेयर बुक वैल्यू के 2 से 5 गुना महंगे दाम पर पहुंच गए हैं।     

आशंकाओं के विपरीत आश्चर्यजनक रूप से घटा एनपीए

कोविड महामारी की दूसरी लहर आने के पूर्व देश-विदेश की तमाम रेटिंग एजेंसियों और कई अन्य विश्लेषकों ने बैंकों का एनपीए फिर बढ़ने और मुनाफा घटने की आशंका जताई थी, लेकिन आशंकाओं के विपरीत आश्चर्यजनक रूप से बैंकों का एनपीए घटा है और मुनाफा बढ़ गया। इसका एक सबसे बड़ा कारण आईबीसी को माना जा रहा है। बैंकों के बढ़ते एनपीए की समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने 5 साल पहले इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) कानून लागू किया था। इस नए कानून के आने के बाद एस्सार स्टील, डीएचएफएल, भूषण स्टील सहित अनेक दिवालिया हुई कई कंपनियां डिफाल्टर प्रमोटरों के हाथ से निकल गयी हैं। इससे प्रमोटरों में यह डर पैदा हो गया है कि बैंक से लोन लिया है तो चुकाना ही पड़ेगा और यदि डिफाल्ट किया तो तो पूरी कंपनी हाथ से निकल जाएगी। यही वजह है कि अब हर कंपनी प्रमोटर नया लोन लेने की बजाय अपना पुराना बैंक लोन चुकाने पर जोर दे रहे हैं। इसी कारण कोविड संकट के बावजूद एनपीए नहीं बढ़ा और आईबीसी कानून के कारण पुराने डूबत कर्जों की रिकवरी भी बढ़ रही है।

अब सरकारी मदद की जरूरत नहीं

केंद्र सरकार को अब बैंकों में नई पूंजी डालने की जरूरत नहीं दिख रही है क्योंकि पि‍छले साल सरकारी बैंकों ने अपनी बैलेंस शीट को लगभग क्लीन कर यानी मजबूत बना लिया है और अब बाजार से बैंक आसानी से पूंजी जुटाने में सफल हो रहे हैं। सरकारी बैंकों के अच्छे होते प्रदर्शन से इनके प्रति निवेशकों का भरोसा फिर बढ़ा है। यही कारण है कि बैंकों ने अपनी पूंजी जरूरतों के लिए बाजार से 69,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं, जिसमें 10,000 करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी भी शामिल है। सरकारी बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio) भी अधिकतम 14% तक पहुंच गया है।

नया रिफॉर्म एजेंडा ‘ईज’

केंद्र सरकार ने पीएसयू बैंकों को आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए नया रिफॉर्म एजेंडा ‘ईज’ (EASE reforms) जनवरी 2018 में लॉन्च किया था, जिसे आगे बढ़ाते हुए अब ‘ईज’ बैंकिंग का चौथा चरण शुरू किया गया है। पिछले माह इसकी शुरूआत करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman ) ने कहा था कि ‘ईज’ सरकारी बैंकों को और अधिक प्रतिस्पर्धी एवं स्मार्ट बनाएगा। ‘ईज’ का मतलब ‘एन्हांस्ड, एक्सेस, सर्विस एंड एक्सीलेंस’ से है। इसका मकसद टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाते हुए स्मार्ट बैंकिंग (Smart Banking) सेवाएं देने का है। इसमें 5 थीम रखी गयी है। इनमें स्मार्ट लैंडिंग, 24 घंटे, सातों दिन बैंकिंग, डेटा एनेबल्ड एग्री फाइनेंसिंग और डिजिटल पेमेंट मुख्य है। पिछले साल ‘ईज-3’ आधारित इज इंडेक्स में सबसे अच्छा प्रदर्शन एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, पीएनबी और केनरा बैंक का रहा।

अब जबकि सेंसेक्स 60,000 के आंकड़े पर पहुंच गया है तो निवेशकों को कम जोखिम और आकर्षक वैल्यूएशन (Valuation) वाले स्टॉक्स की तलाश हैं, ऐसे स्टॉक्स में पीएसयू बैंकों के शेयर सबसे उत्तम कहे जा सकते हैं। क्योंकि एनपीए संकट दूर होने और मर्जर के बाद पीएसयू बैंक फिर ग्रोथ ट्रैक पर आ गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर यह कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़ लगभग सभी पीएसयू बैंक शेयर अपने बुक वैल्यू के आधे या बराबर दाम पर उपलब्ध हैं। यानी प्राइस टू बुक (P/B) रेशियो की दृष्टि से वैल्यूएशन आकर्षक हैं और रिटर्न मिलने की अच्छी संभावनाएं हैं। टॉप पिक : SBI, BOB, PNB, केनरा बैंक, इंडियन बैंक

- एस. रंगनाथन, रिसर्च हैड, LKP सिक्युरिटीज

फंडामेंटल एनालिसिस के साथ पीएसयू बैंक शेयरों का टेक्निकल एनालिसिस किया जाए तो एसबीआई, SBI, BOB, केनरा बैंक, इंडियन बैंक बुलिश ट्रेंड में दिखाई दे रहे हैं। एसबीआई को 407 रुपए के स्टॉप लॉस के साथ हर गिरावट में खरीदना चाहिए। यह 500 रुपए तक जा सकता है। जबकि केनरा बैंक लॉन्ग टर्म में 240 रुपए तक जा सकता है। बॉब और इंडियन बैंक भी हर गिरावट में खरीदना फायदेमंद हो सकता है। बॉब 110 रुपए और इंडियन बैंक 170 रुपए तक जाने के आसार हैं।

-राहुल रांदेरिया, तकनीकी विश्लेषक