Silence at Washim bus stand due to lack of ST bus ferries

  • पूर्ण यात्री क्षमता से चल रही है एसटी बसेस
  • लोगों में दूर होने लगा है कोरोना का डर

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चंद्रपुर. कोरोना महामारी को देखते हुए लॉकडाऊन के कारण एसटी महामंडल को काफी आर्थिक घाटा उठाना पड़ा परंतु 8 माह के आर्थिक संकट से जूझने के बाद अब एसटी बसों में यात्रियों की भीड़ नजर आने लगी है वहीं ट्रैव्हल्स बसों को अब भी यात्रियों का इंतेजार है. एसटी बसों में यह हालत है कि अब यात्री कोरोना से बेखौफ होकर करीब करीब बैठकर यात्रा कररहे है वहीं निजी बसों, ट्रैव्हल्स में कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन हो रहा है. निजी ट्रैव्हल्स संचालक अब भी घाटे से उबर नहीं पाये है.

पूर्व की तरह चलने लगी है एसटी बसेस

देश में फैले कोरोना की वजह से रापनि ने लाकडाऊन के काल में 24 मार्च से राज्य परिवहन निगम ने सभी बस सेवा बंद कर दी थी. लाकडाऊन के दौरान चंद्रपुर जिला ग्रीन जोन में था और 22 मई से निगम ने जिला अंतर्गत बस सेवा शुरु कर दी. जिला अंतर्गत शुरु बसों में चंद्रपुर से चिमूर, वरोरा, ब्रम्हपुरी, मूल, व्याहाड, राजुरा, गोंडपिपरी, कोरपना, गडचांदुर, पोंभूर्णा आदि स्थानों के लिए बस सेवा शुरु की थी। हर बस की सिटिंग क्षमता से आधे पैसेंजर, बसों को सैनेटाइजिंग कर यात्रियों को सुरक्षित सेवा दी जा रही थी. 1 अक्टूबर से अनलॉक 5  के तहत राज्य परिवहन निगम को पूर्ण क्षमता से यात्रियों के परिवहन के साथ अन्य जिलों में बसेस छोड़े जाने की अनुमति मिलने के बाद राज्य परिवहन के बसों ने रफ्तार पकड़ी.लगभग पिछले एक माह से राज्य परिवहन निगम की बसों का परिचालन मार्च महीने में लगाये लॉकडाऊन के पूर्व की तरह हो रहा है. ना केवल जिले भर में बल्कि अन्य जिलों में बसों का परिवहन हो रहा है, अन्य जिलों की बसेस चंद्रपुर जिले में आ रही है.

लॉकडाऊन के दौरान करनी पड़ी मशक्कत

लाकडाउन की वजह से लालपरी भारी आर्थिक संकट से जूझ रही थी. रापनि को आर्थिक संकट से उबारने के लिए निगम के वरिष्ठ अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि तेजी से कोरोना बाधितों की संख्या बढ़ रही थी, ऐसे में नागरिकों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने की बडी जिम्मेदारी थी. इसके चलते हर बस की सिटिंग क्षमता के आधे यात्री को बस में बैठने की अनुमति दी गई थी. हर यात्री को मास्क लगाना अनिवार्य  किया गया था बस के डिपो के पहुंचने के बाद उसे सैनेटाजिंग किया जा रहा था.परंतु अब लॉकडाऊन के पूर्व की स्थिति नजर आ रही है.

एसटी के चंद्रपुर आगार की प्रतिमाह आय 30 से 35 लाख

चंद्रपुर विभाग अंतर्गत चंद्रपुर, राजुरा, वरोरा और चिमूर डिपो की 250 बसेस राज्य के शिर्डी, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, गडचिरोली, नागभीड, अहेरी, राजुरा, घुग्घुस, वरोरा के अलावा अंतर राज्यीय हैदराबाद, राजनांदगांव, आदिलाबाद, मंथनी, आसिफाबाद, कागजनगर आदि स्थानों के  यात्रियों को सेवा दे रही है. इस माध्यम से चंद्रपुर विभाग को प्रतिमाह 30 से 35 लाख रुपए की आय होती है. फिर से एसटी महामंडल के अच्छे दिन लौट आये है.

ट्रैव्हल्स को लम्बी दूरी के नहीं मिल रहे है यात्री

वही दूसरी ओर जिले से नागपुर, पुणे के लिए ट्रैव्हल्स बसेस चलाई जाती है. अक्टूबर के मध्य से मंजूरी मिलने के बाद भी निजी ट्रैव्हल्स जिस तरह से लॉकडाऊन के पूर्व संचालित हो रही थी उसका 50 फीसदी परिचालन नजर नहीं आ रहा है. प्रमुख ट्रैव्हल्स कंपनियों द्वारा ही चंद बसेस ही चलाई जारही है. लम्बी दूरी की यात्रा के लिए यात्री नहीं मिल रहे है. पुणे की ओर जानेवाली बसेस तो पूरी तरह से ठप है. गिने चुने यात्रियों द्वारा ही ट्रैव्हल्स बसों में यात्रा करते हुए नजर आ रहे है. धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों के लिए चलाई जानेवाली निजी ट्रैव्हल्स बसेस तो पूरी तरह से बंद है.

ग्रामीण क्षेत्र में अच्छा व्यवसाय

जिले में चंद्रपुर से गडचिरोली, ब्रम्हपुरी तहसील में वडसा से नागपुर के लिए चलनेवाली निजी बसों और ट्रैव्हल्स संचालकों का व्यवसाय कुछ मायनों में पहले की तरह ठीक चल रहा है. यहां एसटी बसों की कमी और पैसेंजर ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह से बंद होने से ग्रामीण यात्रियों को मजबूरन सड़क मार्ग से यात्रा करना पड़ रहा है. ऐसे में वडसा से नागपुर की ओर जानेवाली ट्रैव्हल्स बसों मे यात्रियों की भीड़ पूर्व की तरह है. वहीं चंद्रपुर शहर से गडचिरोली की ओर जानेवाली ट्रैव्हल्स बसों की संख्या कम है परंतु यात्रियों का आवागमन शुरू हो गया है.