नीतीश ने दिखाए तेवर, केंद्र सरकार के सहयोगी का जासूसी पर सवाल

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    कहावत है- मियां की जूती, मियां के सिर पर! बीजेपी को जरा भी अंदेशा नहीं रहा होगा कि उसकी मेहरबानी से बिहार के मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ही उसे जासूसी मुद्दे पर आड़े हाथ लेंगे. एनडीए में शामिल होने के बावजूद नीतीश कुमार ने विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पेगासस केस की निश्चित तौर पर जांच होनी चाहिए. बीजेपी और केंद्र सरकार को बुरी तरह पसोपेश में डालते हुए नीतीश ने कहा कि संसद में पेगासस जासूसी मामले पर बहस होनी चाहिए. जब इतने दिनों से लोग संसद में मुद्दा उठा रहे हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए. अगर कोई किसी को परेशान करने की कोशिश कर रहा है तो जांच तो होनी ही चाहिए.

    विपक्ष को खुशी होगी कि अनपेक्षित रूप से नीतीश कुमार ने उनकी मांग का समर्थन किया है. बीजेपी को उसके सहयोगी दल जदयू ने ही जासूसी मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर दिया है. बिहार में बीजेपी की अधिक सीटें होने के बावजूद उसके पास मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा नहीं होने से उसने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. इस विवशता को बयान करते हुए बिहार सरकार में बीजेपी के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि गठबंधन की सरकार चलाना चुनौती भरा काम है. बिहार में हमारी सरकार स्वतंत्र नहीं है. यूपी, मध्यप्रदेश की तरह जहां हमारी अपने दम पर सरकार है वहां फैसले लेने, नेतृत्व करने व सरकार चलाने में हम पूरी तरह स्वतंत्र हैं.

    बिहार में काम करना और सरकार चलाना काफी चैलेंजिंग है. नीतीश कुमार से बीजेपी की अनबन सम्राट चौधरी के इस कथन से ही नजर आती है कि पीएम पद के लिए अगले 10 वर्षों तक कोई वैकेंसी नहीं है. जदयू नेताओं को कम से कम 10 वर्ष तक तो इंतजार करना ही चाहिए. इजराइली साफ्टवेयर पेगासस से विपक्षी नेताओं, सरकारी नीतियों से असहमत बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी का मुद्दा इतना छा गया है कि उसकी जांच की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद ठप कर रखी है.