Mizoram Civil Service irregularities probe
मिजोरम मुख्यमंत्री- परीक्षा (डिजाइन फोटो)

मिजोरम सरकार ने पिछले साल आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक जांच करने के आदेश दिए हैं।

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आइजोल: मिजोरम सरकार (Mizoram Government) ने मिजोरम लोक सेवा आयोग (Mizoram Public Service Commission, MPSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं। राज्य सतर्कता विभाग द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि पिछले साल आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं (Civil Services Examinations) में कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक जांच करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव एवं एमपीएससी के पूर्व अध्यक्ष एम लालमंजुआला (M Lalmanjuala) को नियुक्त किया गया है।

लालमंजुआला को सात दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। आदेश ने सोमवार को कहा, ‘‘मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने ऐसी परीक्षाओं के संचालन से जुड़े नियमों और मौजूदा मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के अनुसार आरोपों की सत्यता की जांच की इच्छा व्यक्त की।” इसमें कहा गया है, ‘‘आरोप केवल सेवा कानून के तहत कदाचार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें दंडात्मक कानूनों का उल्लंघन भी शामिल प्रतीत होता है, जिसके लिए समय पर कार्रवाई शुरू करने के लिए गहन प्रारंभिक जांच की आवश्यकता है।”

राज्य के शीर्ष छात्र संगठन ‘मिजो जिरलाई पावल’ (एमजेडपी) ने अनियमितताओं के मद्देनजर आयोग के अध्यक्ष जेसी रामथंगा के इस्तीफे की मांग करते हुए एमपीएससी कार्यालय में विरोध प्रदर्शन किया। एमजेडपी के अध्यक्ष एच. लालथियांघलीमा ने आरोप लगाया कि पिछले साल अक्टूबर में हुई संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के संचालन में अनियमितताएं हुईं क्योंकि कुछ परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं और सारणी शीट में ‘व्हाइटनर’ (एक प्रकार का सफेद रसायन) का इस्तेमाल कर अंकों में बदलाव किया गया।

संगठन के महासचिव चिंखानमंगा थोमटे ने कहा कि पहले पुस्तिकाओं में सुधार करने के लिए व्हाइटनर का इस्तेमाल बमुश्किल ही किया जाता था और जब पुस्तिकाओं को जांचने वाले को पहले से दिए गए अंकों में सुधार करना होता था तो वह उसे पेन से काटकर हस्ताक्षर के साथ नए अंक लिखता था और अंक में सुधार के लिए स्पष्टीकरण भी लिखता था। एमपीएससी अधिकारियों ने दावा किया है कि अंकों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर उत्तर पुस्तिकाओं की तीन स्तरीय जांच होती है और पुस्तिकाएं जांचने वालों को उत्तर पुस्तिकाओं पर अंक देने की अनुमति नहीं होती है एवं वे केवल सारणीबद्ध शीट पर ऐसा कर सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि कभी-कभी उत्तर पुस्तिकाएं जांचने वाले पुस्तिकाओं पर अंक दे देते हैं, जिन्हें अगले मूल्यांकनकर्ता को उत्तर पुस्तिकाएं सौंपने से पहले मिटा या हटा दिया जाता है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि सारणी शीट पर पहले और दूसरे मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा दिए गए अंकों की तुलना तीसरे मूल्यांकनकर्ता या जांचकर्ता द्वारा की जाती है, जो जरूरत पड़ने पर सुधार करने के बाद अंतिम अंक देते हैं। इसके बाद, तीसरे मूल्यांकनकर्ता द्वारा दिए गए अंतिम अंकों की एमपीएससी कार्यालय जांच करता है जिसके बाद अंतिम सारणी बनाई जाती है।

(एजेंसी)