Mohan Agashe
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    मुंबई : वयोवृद्ध अभिनेता (Actor) मोहन अगाशे (Mohan Agashe) ने कहा कि एक फिल्म (Film) को तब तक दर्शकों (Audience) को उनकी सीट पर बांधे रखने में सक्षम होना चाहिए जब तक कि पर्दे पर फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों के नाम आने न शुरू हो जाए। मोहन अगाशे ने हाल ही में मराठी फिल्म ‘दीथी’ का निर्माण किया है। जिसने खूब प्रशंसा बटोरी। उन्होंने कहा कि साहित्य, फिल्म, रंगमंच और संगीत तीनों का जुड़ाव भावनाओं से है। 27वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘दीथी’ की स्क्रीनिंग के लिए यहां आए अभिनेता ने इस बात पर अफसोस जताया कि मुख्यधारा के सिनेमा के दर्शक उसी क्षण सिनेमा हॉल छोड़ने लगते हैं जब उन्हें यह अनुमान हो जाता है कि फिल्म खत्म होने वाली है।

    उन्होंने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ऐसा नहीं होना चाहिए। एक फिल्म दर्शकों को अपनी सीट से तब तक बांधे रखने में सक्षम होनी चाहिए जब तक कि क्रेडिट रोल न हो जाए और लाइट वापस चालू न हो जाए।’ मोहन अगाशे ने यह भी कहा कि एक अभिनेता कितना भी अच्छा क्यों न हो, एक खराब पटकथा और एक अक्षम निर्देशक कभी भी एक फिल्म को बचा नहीं सकते। ‘दीथी’ के बारे में बात करते हुए मोहन अगाशे ने कहा कि इसे दिवंगत फिल्म निर्माता सुमित्रा भावे ने लिखा और निर्देशित किया था। ‘दीथी’ एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपने बेटे को खोने के बाद जीवन और मृत्यु के अद्वैत को समझता है।

    ‘कसव’ और ‘सिंहासन’ जैसी मराठी फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहन अगाशे ने यह भी कहा कि वह सुमित्रा भावे की अधूरी पटकथा पर काम करना चाहते हैं। मोहन अगाशे ने कहा कि सुनील सुकथंकर, जिन्होंने भावे के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘कसाव’ सहित कई परियोजनाओं में सह-निर्देशन किया है, इस फिल्म को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘जब आप सुमित्रा भावे जैसे किसी व्यक्ति के साथ काम करते हैं, तो आप निर्माता के रूप में दूसरे अवतार का आनंद लेते हैं।’ बता दें कि सुमित्रा भावे का पिछले साल अप्रैल में 78 साल की उम्र में निधन हो गया था। (एजेंसी)