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आदिपुरुष पोस्टर (Photo Credits: Instagram)

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित 'रामायण' पर अब तक कई सारे फिल्म और टीवी शोज हमने देखें. इसी कड़ी में भूषण कुमार ने भी अपनी फिल्म कंपनी टी-सीरीज के बैनर तले इस कहानी का निर्माण किया है.

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फिल्म: आदिपुरुष:

निर्देशक: ओम राउत 

कास्ट: प्रभास, कृति सैनन, सैफ अली खान, देवदत्त नाग, सनी सिंह और सोनल चौहान 

रेटिंग्स: 2.5 स्टार्स 

कहानी: महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित ‘रामायण’ पर अब तक कई सारे फिल्म और टीवी शोज हमने देखें. इसी कड़ी में भूषण कुमार ने भी अपनी फिल्म कंपनी टी-सीरीज के बैनर तले इस कहानी का निर्माण किया है. उन्होंने 21वीं सदी के युग को ध्यान में रखते हुए इस पौराणिक कथा को एक नए अंदाज में पेश करने का प्रयास किया है. वैसे तो फिल्म की कहानी से सभी वाकिफ हैं कि किस प्रकार पापी और दुराचारी रावण द्वारा माता सीना के हरण के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम वानर सेना के साथ मिलकर उसका विध्वंस करते हैं. मेकर्स ने इस कहानी को एक मॉडर्न टच देते हुए दर्शकों के लिए पेश किया है. लेकिन इस फिल्म में ऐसी क्या खूबियां हैं जो इसे देखने योग्य बनाती हैं? क्या ये वाकई दर्शकों को पसंद आएगी? क्या इसमें कहानी को सही रूप-रेखा के साथ दिखाया गया है? इन्हीं सवालों के जवाब देता है हमारा ये फिल्म रिव्यू.

अभिनय: फिल्म में भगवान राम की भूमिका में नजर आए प्रभास से काफी उम्मीदें थी. भगवान राम में जो तेज और पराक्रम मौजूद है, वो एक्टर में पूर्णतः देखने को नहीं मिलता. एक पैन इंडिया स्टार होने के नाते प्रभास अपनी अदाकारी का लोहा पहले ही मनवा चुके हैं और ऐसे में वो यहां और बेहतर कर सकते हैं. फिल्म में कृति सैनन ने बढ़िया काम किया है हालांकि उन्हें अपने एक्सप्रेशन्स के मामले में अभी और सीखना है. बात करें सैफ अली खान की तो उन्होंने यहां अपनी एक्टिंग से बेहद इम्प्रेस किया. लंकापति रावन की भूमिका में वो हर सीन्स में मानों गरज पड़ते हैं. अपने खौफनाक अंदाज से वो हमें काफी आकर्षित करते नजर आए.  फिल्म में हनुमान जी की भूमिका में नजर आए देवदत्त नाग ने बढ़िया काम किया है. हालांकि मेकर्स उनके लुक्स पर और बढ़िया काम कर सकते हैं. फिल्म में लक्षण की भूमिका में दिखे सनी सिंह बेहद गंभीर अंदाज में नजर आए और उन्होंने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है.

संगीत: फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक काफी बढ़िया है और ये इसके सीन्स में जान डालता है. पौराणिक कथा से जुड़ी कहानी होने के चलते हम अपने संकृति और सभ्यता की झलक की उम्मीद इसके संगीत में करते हैं, जोकि देखने को नहीं मिलती. फिल्म का प्रसिद्ध गीत ‘राम सिया राम’ भी इसमें नहीं दर्शाया गया है जिसका हमें बेसब्री से इंतजार भी था. फिल्म में प्रभु राम और माता सीता के वनवास इ के दौरान दर्शाए गीत में हमें टिपिकल बॉलीवुड सॉन्ग की अनुभूति होती जिसके चलते मजा और किरकिरा हो जाता है. 

फाइनल टेक: निर्देशक ओम राउत ने ‘रामायण’ की कहानी को नए अंदाज में पेश करने का भरपूर प्रयास किया है हालांकि ये हमारा इतिहास है और ऐसे में कुछ तत्थों के साथ समझौता कर पाना थोड़ा मुश्किल जरूर है. यकीनन फिल्म के मेकर्स किसी भी रूप से किसी नकारात्मक उद्देश्य के साथ कहानी को नहीं छेड़ते हैं लेकिन उत्तर भारत में जो रामायण प्रचलित है और इस फिल्म की कहानी के कई भागों में जो दर्शाया गया है, दर्शकों के लिए उसे पचा पाना थोड़ा मुश्किल जरूर होगा. फिल्म में लाजवाब वीएफएक्स हैं लेकिन केवल ग्राफिक्स के दम पर फिल्म नहीं चलाई जा सकती. फिल्म के कमजोर और लापरवाही के साथ लिखे गए डायलॉग्स मेकर्स की सबसे बड़ी नाकामयाबी को दर्शाता है. अगर आपको एनिमेटेड फिल्में पसंद है तो आप इसे सिनेमाघरों में देख सकते हैं अन्यथा फिल्म में एंटरटेनमेंट के लिहाज से कुछ हटके और अलग देखने को नहीं मिलता.