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 मुंबई: निर्माता अक्सर शिकायत करते रहे हैं कि राज्य में मराठी फिल्मों को थिएटर नहीं मिल रहे हैं। ताजा उदाहरण फिल्म टीडीएम है, जिसे सिनेमा हॉल की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ा। इसी पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने आज मराठी सिनेमा और थिएटर को लेकर बड़े फैसले का ऐलान किया है। राज्य सरकार द्वारा घोषित इस फैसले से मराठी फिल्मों के निर्माताओं को बड़ी राहत मिली है।

क्या है राज्य सरकार का फैसला?

महाराष्ट्र में हर सिनेमा संचालक को साल में चार हफ्ते मराठी फिल्में दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया कि अगर इस नियम का पालन नहीं किया गया तो थिएटर संचालक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। मुनगंटीवार ने ट्वीट किया कि कल मंत्रालय में मराठी फिल्मों को थिएटर और प्राइम टाइम उपलब्ध कराने को लेकर बैठक हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि साल में चार सप्ताह तक मराठी फिल्में नहीं दिखाने पर थियेटर मालिक पर लाइसेंस नवीनीकरण के समय 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा।

गृह विभाग को कार्रवाई के निर्देश

इस संबंध में मुनगंटीवार द्वारा किए गए एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग ने गृह विभाग को इस संबंध में आपराधिक कार्रवाई करने के लिए सूचित कर दिया है। इस बैठक में सिंगल स्क्रीन थियेटरों का किराया नहीं बढ़ाने का भी फैसला किया गया। इस बैठक में मराठी फिल्मों के प्रचार-प्रसार को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। इस मौके पर फिल्म निर्देशक, निर्माता, वितरक सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि सिनेमाघरों में मराठी फिल्मों के प्रदर्शन के लिए कार्य प्रणाली तैयार की जाएगी।