कलर्स का नया शो, मंगल लक्ष्मी
कलर्स का नया शो, मंगल लक्ष्मी

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मुंबई: कलर्स के नए शो ‘मंगल लक्ष्मी’ को हमारे टेलीविज़न स्क्रीन पर आए हुए केवल एक पखवाड़ा ही हुआ है, जो भारतीय ‘गृहिणियों’ के जीवन पर मजबूती से प्रकाश डालता है, उनके रोज़मर्रा के संघर्षों को दर्शाता है, छोटी-छोटी खुशियों का जश्न मनाता है, और बड़ी कुशलता से परिवार और घरेलू कर्तव्यों को प्रदर्शित करता है। अपनी दिलचस्प कहानी के साथ, इस लोकप्रिय शो ने आज के समाज की नब्ज़ को पूरी तरह से पकड़ा है, और अपने यथार्थवादी किरदारों से इसने लोगों के दिलों में जगह बना ली है। यहां ‘मंगल लक्ष्मी’ के पांच उदाहरण दिए गए हैं जहां मंगल का किरदार हर गृहिणी को अपना सा लगता है।

 सब्जियों का तोल-मोल

 ताज़ी सब्जियां चुनने के लिए मंगल की पैनी नज़र, पहले एपिसोड में, हम मंगल को जल्दी-जल्दी सब्जियां खरीदते हुए देखते हैं, तभी दूसरे सब्जी विक्रेता से ‘एक के ऊपर एक पालक फ्री’ की आवाज़ सुनाई देती है। हालाकि, जब वह पालक जांचती है, तो उसे पता चलता है कि यह पालक अच्छी नहीं है और इसलिए, वह इसे खरीदने से मना कर देती है। उसका नियमित विक्रेता उसकी चतुराई की तारीफ करता है, और ताज़ी सब्जियां चुनने में पैनी नज़र रखने के लिए उसकी सराहना करता है। मंगल जल्दी से सब्जियों की कुल कीमत की गणना करती है और विक्रेता के पैसे जोड़ने से पहले ही उसे सही रकम दे देती है। मंगल की तरह ही, कई भारतीय गृहिणियां घर की गुमनाम वित्तीय जादूगर हैं, जो चतुराई से बजट बनाने और व्यय प्रबंधन की कला में महारत हासिल करती हैं।

 हर होममेकर की कहानी

 मंगल अपनी बहन लक्ष्मी से अपने आंसू छुपाती है, दोनों बहनों के बीच हो रहे एक वीडियो कॉल के दौरान, लक्ष्मी जब अपनी बहन मंगल से उसकी सेहत और भलाई के बारे में पूछती है तो उसकी तेज़ नज़र में मंगल के छिपे आंसुओं को देख लेती है। भावनाओं से अभिभूत होकर, मंगल ने झट से अपने आंसू पोंछते हुए बहाना बना दिया, “अरे, तड़के से धुंआ आ रहा है।” इस बात को बदलते हुए, वह तुरंत विषय को भटकाती है और कहती है कि अदित अपने आॅफिस शेड्यूल में व्यस्त होंगे। यह सीन हर गृहिणी के मूक संघर्षों को दर्शाता है, जो अक्सर उन पर लागू सामाजिक अपेक्षाओं के कारण अपने आंसू दिखाने से बचती हैं। कई भारतीय घरों में, उन्हें सहनशीलता की मूर्ति के रूप में देखा जाता है, जिनसे परिवार के भीतर सद्भाव बनाए रखने की उम्मीद की जाती है।

 रसोई की शान

 मंगल ने ‘शाही टुकड़ा’ से अदित के सहकर्मियों को प्रभावित किया, कई गृहिणियों की तरह, मंगल भी किचन क्वीन है। एक एपिसोड में, उसका पति अदित अपने सहकर्मियों को घर निमंत्रित करता है और उनके लिए फास्ट फूड ऑर्डर करता है। लेकिन अदित की मां उसे उनके ‘सक्सेना घर की शान’, शाही टुकड़ा की याद दिलाती है। हालांकि, कुछ अप्रत्याशित स्थिति के कारण, मंगल को पता चलता है कि उनके पास मिठाई तैयार करने के लिए पर्याप्त दूध नहीं है। फिर वह चतुराई से मेहमानों के लिए हलवा और चाय बनाती है। भले ही अदित और उसकी मां को निराशा होती है, लेकिन मंगल हर गृहिणी की तरह चतुराई से रास्ता खोज लेती है! वह बची हुई रबड़ी का उपयोग करने का फैसला करती है और शाही टुकड़ा बनाती है। मेहमान मिठाई की तारीफ करते नहीं थकते हैं, और मंगल की कुशलता उसे खूब तारीफ दिलाती है। यह प्रासंगिक कहानी गृहिणियों की सरलता और समर्पण को बयां करती है, जो मेहमानों को घर जैसा महसूस कराने के लिए हमेशा खूब मेहनत करने की कोशिश करती हैं।

 पहला परिवार फिर अपने विचार!

मंगल खुद से पहले परिवार की पसंद को प्राथमिकता देती है, शाम की चहल—पहल में, मंगल अपने ससुराल वालों को चाय परोसती है जबकि वे अपने पसंदीदा शो में तल्लीन रहते हैं। इस चहल—पहल के बीच, उसके पास अपने पति के घर आने से पहले चाय पीने तक का समय नहीं होता है। मंगल की सास टिप्पणी करती है कि महिलाओं से कई ज़िम्मेदारियां निभाने की लगातार उम्मीद की जाती है। इन सबके बावजूद, जैसे ही उसका पति घर आता है, मंगल हरकत में आ जाती है, और उसके लिए उसी समर्पण की भावना व रूटीन के साथ कॉफी तैयार करती है जो सभी गृहिणियों के लिए प्रतीक है। यह पल उन गृहिणियों के निस्वार्थ समर्पण को दर्शाता है जो अपने प्रियजनों की ज़रूरतों को प्राथमिकता देती हैं।

 परिवार के साथ, चाहे जो भी हो बात

 व्यक्तिगत मतभेदों के बावजूद, मंगल और अदित परिवार के लिए साथ मिलकर खड़े हैं। एक एपिसोड में, मंगल लक्ष्मी के लिए नितिन के विवाह प्रस्ताव का पुरज़ोर विरोध करती है। नितिन द्वारा अपमान किए जाने से परिवार के सदस्य आहत होते हैं, जिसके साथ तीखी बहस शुरू हो जाती है। लेकिन जैसे ही हालात काबू से बाहर होने लगते हैं, तो अदित बीच-बचाव करता है और ज़ोर देकर कहता है, “तुम ऐसे किसी का अपमान नहीं कर सकते, ठीक है?” अपने हर शब्द के साथ अहंकार झलकाते हुए नितिन जवाब देता है, “अरे, कंप्यूटर इंजीनियर, रिलैक्स, अपनी औकात में रहो।” फिर भी, इस मौखिक लड़ाई के बीच, मंगल दृढ़ है, अपने परिवार के प्रति उसकी निष्ठा और अदित के प्रति उसका समर्थन अटल है। मंगल अपने पति के बचाव में आवाज़ उठाती है और कहती है, आप ऐसी बात नहीं कर सकते अदित जी से। इस सीन में दिखाया गया है कि व्यक्तिगत संघर्षों और मतभेदों के बावजूद, मंगल और अदित मिलकर अपने परिवार के लिए खड़े होते हैं।