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माराडोना (Diego Maradona) को 'फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी' से भी नवाजा जा चुका है।

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मुंबई. अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना (Diego Maradona) का बुधवार को 60 साल की उम्र में निधन हो गया। लंबे समय से वह कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे।माराडोना (Diego Maradona) बेहद गरीब परिवार से थे। उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए शोहरत हासिल की। माराडोना (Diego Maradona)  को ‘फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ से भी नवाजा जा चुका है। इस महान फुटबॉलर का जन्म  ब्यूनस आयर्स के लानुस में एक गरीब परिवार में हुआ था। 

माराडोना (Diego Maradona)  ब्यूनस आयर्स की झुग्गी-झोपड़ी में रहते थे। माराडोना की मां साल्वाडोरा फ्रेंको और पिता डॉन डिएगो 3 बेटियों के बाद पहला बेटा हुआ था। माराडोना का परिवार 8 भाई-बहनों वाला हो गया। माराडोना जब 3 साल के थे, तब उनके भाई ने उन्हें एक फुटबॉल गिफ्ट की थी। माराडोना (Diego Maradona)  को फुटबॉल इतनी पसंद आई की वह 6 महीने तक उस फुटबॉल को अपने शर्ट के भीतर रखकर ही सोते थे। यही से माराडोना को फुटबॉल से प्यार हो गया।

माराडोना (Diego Maradona) ने बचपन में ही सोच लिया था कि वह एक दिन महान फुटबॉलर बनेंगे। उन्होंने 10 साल की उम्र में रोजा एस्ट्रेला क्लब के लिए खेलना शुरू किया था। इसी क्लब की तरफ से खेलते समय अर्जेंटीनोस जूनियर्स के छोटे से क्लब ने माराडोना की स्किल्स को पहचाना। उन्हें लॉस केबोलिटास ने भी चुना। लेकिन, 12 साल की उम्र तक उन्होंने बॉल ब्वॉय का ही काम किया। इसके बाद उन्होंने 15 साल की उम्र में अर्जेंटीनोस जूनियर्स के लिए खेलना शुरू किया। यही से उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत हुई  साल 1981 में माराडोना (Diego Maradona) को बोका जूनियर्स क्लब ने साइन किया। इसके बाद साल 1982 में माराडोना ने बोका जूनियर्स की तरफ से खेलते हुए पहला मेडल हासिल किया।

माराडोना  (Diego Maradona) को खेलते हुए देख सभी लोग खुश हो जाते थे। उनका खेल दर्शकों को बेहद पसंद आता था। उन्होंने लगातार अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिया था। इसके बाद माराडोना के टैलेंट को देखते हुए उन्हें साल 1977 में नेशनल टीम में शामिल किया गया। हालांकि साल 1978 में खेला गया वर्ल्ड कप में उन्हें शामिल नहीं किया गया। दरअसल, उन्हें टीम में ये कहकर शामिल नहीं किया गया कि वे अभी बच्चे हैं।अर्जेंटीना ने यह वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया था।

1978 का वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम अर्जेंटीना साल 1982 में डिफेंडिंग चैम्पियन के तौर पर उतरी थी। इस बार टीम ने माराडोना  (Diego Maradona) को शामिल किया था।डिफेंडिंग चैम्पियन होने के कारण अर्जेंटीना और माराडोना से सबको उम्मीद थीं। लेकिन, माराडोना  (Diego Maradona) सिर्फ पहले राउंड में ही हंगरी के खिलाफ 2 गोल कर पाए।जिसके बाद टीम दूसरे राउंड में बाहर हो गई। ब्राजील ने अर्जेंटीना को बाहर का रास्ता दिखाया।

माराडोना  (Diego Maradona) ने 4 फीफा वर्ल्ड कप टूर्नामेंट खेले। जिसमें साल 1986 का विश्व कप शामिल था। साल 1986 वर्ल्ड कप में माराडोना अर्जेंटीना के कप्तान भी थे। अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच क्वार्टर फाइनल मुकाबला था। इस मुकाबले में माराडोना ने दो गोल किए थे। इनमें से एक गोल को ‘हैंड ऑफ गॉड’ कहा जाता है।

दरअसल, इस मुकाबले में इंग्लैंड की टीम का कहना था कि बॉल माराडोना  (Diego Maradona) के हाथ से लगकर गई है। लेकिन, रेफरी ने फैसला गोल का ही दिया। इस मुकाबले में माराडोना ने 5 गोल किये थे। वहीं,  इंग्लैंड को हराकर अर्जेंटीना सेमीफाइनल में पहुंची थी। इसके बाद अर्जेंटीना ने वर्ल्ड कप भी अपने नाम कर लिया था। 

वर्ल्ड कप जीतने के बाद डिएगो माराडोना  (Diego Maradona) ने कहा था कि यह गोल थोड़ा मेरे सिर और थोड़ा भगवान के हाथ से छुआ था। माराडोना के इस बयान के बाद इस गोल को’ हैंड ऑफ गॉड’ कहा गया। वहीं, माराडोना इस टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किए गए थे। उन्हें गोल्डन बॉल अवॉर्ड से नवाजा गया था।माराडोना  (Diego Maradona) को ‘फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने एक बार वर्ल्ड कप गोल्डन बॉल, एक बार बैलन डी ओर, 2 बार साउथ अमेरिकन फुटबॉलर ऑफ द ईयर, 6 बार नेशनल लीग टॉप स्कोर अवॉर्ड जीता है।

डिएगो माराडोना (Diego Maradona) क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को अपना दूसरा पिता मानते थे। यह संयोग की बात है कि, जिस दिन कास्त्रो का निधन हुआ, उसी दिन माराडोना ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। कास्त्रो का निधन 25 नवंबर 2016 को हुआ था। माराडोना 4 दिसंबर 2016 को कास्त्रो के अंतिम दर्शन के लिए क्यूबा भी पहुंचे थे।

माराडोना का करियर अच्छा चल रहा था। लेकिन, तभी उन्हें नशे की आदत पड़ गई। माराडोना ने साल 1982 में कोकीन लेना शुरू कर दिया। डिएगो माराडोना  (Diego Maradona) साल 1984 में जब नेपोली क्लब के लिए खेलने लगे थे, तब वह इटैलियन माफिया कोमोरा के संपर्क में आ गए थे। उन्होंने दो दशकों तक लगातार ड्रग्स ली और शराब पी।

कोकीन के सेवन के लिए माराडोना को नेपोली ने साल 1991 में 15 महीने के लिए बैन कर दिया था। इसके बाद उन्हें ब्यूनस आयर्स में 500 ग्राम कोकीन के साथ गिरफ्तार किया गया था। तब माराडोना (Diego Maradona) को 14 महीने की सजा हुई थी। नशे की वजह से  उनके फुटबॉल करियर पर काफी बुरा प्रभाव हुआ। इसके बाद माराडोना ने (Diego Maradona)  साल 1997 में फुटबॉल से संन्यास ले लिया।