सरकारी योजना ही बनी किसानों के लिए मारक

  • 'एक किसान एक ट्रान्सफार्मर' योजना उपयोगहीन
  • 2 वर्षो से किसान बिजली मिटर से वंचित

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गडचिरोली. विश्व का पालनहार होनेवाले अन्नदाता यानी किसानों के लिए सरकारी स्तर पर अनेक योजना चलाए जाते है. मात्र सरकार के कुछ योजना ही किसानों के लिए मारक साबित होने की स्थिती दिखाई पड रही है. 2 वर्ष पूर्व शुरू की गई ‘एक किसान-एक ट्रान्सफार्मर’ यह योजना किसानों के लिए सिरदर्द बन रही है. इस योजना अंतर्गत आवेदन करनेवाले सैंकडों किसानों को 2 वर्षो से बिजली मिटर का इंतजार है. स्वतंत्र ट्रान्सफार्मर योजना किसानों के लिए ‘जोर का झटका’ देनेवाली साबित हो रही है. 

विगत कुछ दिनों से किसानों के समस्याओं में वृद्धी होती दिखाई दे रही है. एक ओर किसान बांधव प्रकृति के अनियमित वृत्ती से त्रस्त है. वहीं दुसरी ओर सरकार की कुछ योजनाएं उनके लिए परिहास का कारण बन रहे है. सरकार बदली तो योजनाएं बदलते है. मात्र वह योजनाएं सहीं मायने में लाभकारी है या नहीं यह जांचना उस समय के सरकार चलानेवालों का कार्य है. 2 वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने ‘एक किसान एक ट्रान्फाफार्मर’ (एचविडिसी- हाय व्होल्टेज डिस्ट्रिब्युशन सिस्टीम) यह योजना शुरू की. प्रत्येक किसानों को स्वतंत्र ट्रान्सफार्मर देकर उनके खेती में बिजली मिटर देने की यह योजना है. इसके लिए लगनेवाले खर्च का वहन सरकार करती है. जरूरतमंद किसानों को ऑनलाईन आवेदन महावितरण की ओर करना पडता है. जिले के अनेक किसानों ने 2 वर्ष से आवेदन किए है. मात्र इन किसानों को अबतक उक्त योजना का लाभ नहीं मिला है. उनके खेत में अबतक बिजली मिटर नहीं लगे है. सरकारी स्तर पर अनेक प्रस्ताव धुल खा रहे है. मात्र निधी के अभाव में सरकार ने इस योजना के लाभार्थियों का अबतक चयन नहीं किया है. 

सरकार के तिजोरी पर पडता है बोझ 
कोई भी नई योजना क्रियान्वित करने के लिए सरकार के तिजोरी पर बोझ पडता है. स्वतंत्र ट्रान्सफार्मर लगाने के लिए लाभार्थियों को कम से कम ढाई लाख का निधी मंजूर होता है. मात्र उससे अधिक खर्च आने पर ढाई लाख के उपर के खर्च का वहन संबंधित लाभार्थियों को करना पडता है. मात्र वह खर्च भी उठाने में किसान असमर्थ होने पर जिलाधिकारी से निधि की मांग की जा सकती है. अधिक निधी का प्रस्ताव जिलाधिकारी जिला नियोजन समिति के समक्ष मंजूरी के लिए रख सकते है. मात्र इस प्रक्रिया को व्यापक कालावधि लगने से किसान लाभार्थी इससे दूर रहना ही पसंद करता है. 

पुरानी योजना ही लाभकारी
स्वतंत्र ट्रान्सफार्मर योजना किसानों के लिए दिक्कतोंभरी साबित हो रही है. इस योजना का लाभ लेने के लिए 2 से 3 वर्षो का कालावधि लग रहा है. पूर्व में बिजली मिटर के लिए आवेदन करने पर एक माह में प्रक्रिया पूर्ण होती थी. जिससे किसान सयम पर अपने फसलों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराता था. मात्र अब बिजली मिटर समय पर नहीं मिलने से किसानों को पानी के अभाव में फसल बचाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड रही है. खेती के समिप ही महाविरण का बिजली पोल होने के बावजूद किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. एक 100 केवी के ट्रान्सफार्मर पर  3 एचपी के 20 कृषीपंप चल सकते है, ऐसी बात महावितरण के एक अधिकारी ने कहीं. ऐसे अनेक ट्रान्सफार्मर खेती होनेवाले परिसर में उपलब्ध है. मात्र ‘एक किसान एक ट्रान्सफार्मर’  इस योजना के कारण अनेक किसान बिजली मिटर लेने से वंचित है. जिससे पुरानी पद्धती से किसानों को बिजली मिटर देने की मांग अब किसान कर रहे है. 

विस अध्यक्ष ने व्यक्त की नाराजगी 
स्वतंत्र ट्रान्सफार्मर योजना के संदर्भ में अनेक शिकायत किए जा रहे है. ऐसे में बिते शितकालीन अधिवेशन में विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने भी इस योजना को लेकर संबंधित विभाग के मंत्री की ओर नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होने तो यह योजना ही नहीं समझने की बात कहीं थी. किसानों को अकारण परेशान करनेवाली योजनाएं बंद कर अधिक से अधिक लाभकारी साबित होनेवाली येाजना क्रियांन्वित करने की सुचना भी उन्होने की. जिससे इस योजना का भविष्य क्या होगा यह आगामी दिनों में स्पष्ट होगा.