उद्योग के अभाव में रोजगार के लिए तरसते बेरोजगार

  • वन, खनिज, पानी संसाधन बेशुमार, प्रक्रिया उद्योगों का अभी भी इंतजार

Loading

गडचिरोली. राज्य में सर्वाधिक वनसंपदा के लिए गडचिरोली जिला पहचाना जाता है. हरीत महाराष्ट्र के सपने को कायम रखने में जिले का व्यापक योगदान है. मात्र विपुल संपदा, जलभंडार व बेश्किमती खनिज संसाधन जिले में बेशुमार होने के बावजूद गडचिरोली जिले में एक भी उद्योग नहीं है. जिससे रोजगार के लिए तरसते यहां के बेरोजगारों को देखा जा सकता है. उद्योगों के अभाव में गडचिरोली जिले में पिछडेपन का अंधियारा कायम है. यहां कब उद्योग आऐंगे और कब यहां का विकास होगा, इसी इंतजार में यहां के युवा है. कुछ वर्ष पूर्व यहां के सुरजागड के लोहअयस्क पर चामोर्शी तहसील के कोनसरी में उद्योग निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से यहां के युवाओं की उम्मीद जगी थी. किंतू यह उद्योग भी थंडेबस्ते में दिखाई दे रहा है. जिससे यहां के बेरोजगारों के लिए उद्योंगो की प्रतिक्षा कब खत्म होगी, यह सवाल अनसुलझे रहस्य की भांती नजर आ रहा है. 

कोनसरी प्रकल्प से जगी थी उम्मीद
एटापल्ली तहसील के सुरजागड पहाडी में बेरोजगारों की उम्मीद का सुरज छुपा हुआ है. इस पहाडी में विपुल मात्रा में होनेवाले लोह अयस्क पर उद्योग निर्माण से अनेक बेरोजगारों की समस्या हल हो सकती है. बिते भाजपा सरकार के कार्यकाल में उद्योग निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हुई थी. जिसके चलते चामोर्शी तहसील के कोनसरी में तत्कालिन मुख्यमत्री फडणविस ने उद्योग निर्माण की निवं रखते हुए कोनशिला अनावरण किया था. जिससे जिले के बेरोजगारों में उद्योग निर्माण की उम्मीद जगी थी. मात्र यहां के खनिज संपदा के परिवहन पर स्थानीकों का हो रहा विरोध व कुछ नक्सल घटनाओं के चलते यह उद्योग प्रक्रिया थंडे बस्ते में चली गई है. अब इस उद्योग को लेकर भाजपाई जनप्रतिनिधी तथा अन्य दलों के राजनितिक पदाधिकारी भी कुछ नहीं बोल पा रहे है. जिससे बेरोजगारों की उम्मीद धुमिल होती नजर आ रही है. 

रेल्वे सुविधा का अभाव
किसी भी क्षेत्र में उद्योग निर्माण करना हो तो अच्छी सडके, यातायात व रेल्वे सुविधा आवश्यक है. मात्र गडचिरोली जिला आज भी रेल्वे सुविधा से कोसो दूर है. जिले के उत्तरी छोर पर देसाईगंज में कुछ किमी का रेल्वे मार्ग है. इसी रेल्वे की बदौलत देसाईगंज शहर यह औद्योगिक दृष्टि से जिले में विकसीत क्षेत्र है. बतां दे कि, देसाईगंज-गडचिरोली रेल्वे मार्ग  को मंजूरी मिले अनेक वर्ष बित गए मात्र यह मार्ग अबतक धरातल पर नहीं उतरा है. कागजों तथा सर्वेक्षण तक ही प्रक्रिया सिमित नजर आ रही है. ऐसे स्थिती में समुचे जिले में रेल्वे सुविधा निर्माण यह बडी खिर नजर आ रही है. रेल्वे सुविधा का अभाव होने से उद्योग निर्माण कोसो दूर होने की बात कहीं जा रही है. 

विपुल वन से उपलब्ध हो सकते है अवसर
जिले में बडी मात्रा में वनसंपदा है. इसी वनसंपदा के भरोसे दुर्गम क्षेत्र के आदिवासी जीवनयापन करते है. वनसंपदा भी उद्योग का माध्यम बन सकती है. अगर वनों पर आधारीत उद्योग निर्माण किया जाए तो अनेक परिवारों को रोजगार मिल सकता है. वनविभाग के मार्फत प्रायोगित तत्व पर कुछ प्रयास जारी है. मात्र जिले में वन पर आधारीत उद्योग यह केवल नेताओं के भाषणों तक ही सिमित दिखाई देता है. वनों के माध्यम से मिलनेवाले उपज पर प्रक्रिया कर जिलावासियों को संपन्नपूर्ण रोजगार दिया जा सकता है. 

एमआईडीसी बनी सफेद हाथी
जिले में औद्योगिक विकास करने के उद्देश से जिला मुख्यालय के साथ ही तहसीलस्तर पर एमआईडीसी स्थापन की गई है. मात्र जिले में यह एमआईडीसी सफेद हाथी नजर आ रही है. जिला मुख्यालय पर स्थित एमआईडीसी में कुछ गिने-चुने उद्योग खालिपन को भरते दिखाई पड रहे है. मात्र एमआईडीसी में अनेक भुखंड खाली होकर यह एमआईडीसी सफेद हाथी नजर आ रही है. वहीं तहसील मुख्यालय पर स्थित एमआईडीसी की आरक्षित जगह पर केवल फलक लगाए दिखाई पडते है. यहां एमआईडीसी का संपूर्ण परिसर झाडियों से घिरा व बंजर जमीन नजर आता है. उद्योग तो दूर यहां इमारत की एक ईट भी कहीं नजर नहीं आती है.