CORONA
File Photo

    Loading

    अर्जुनी मोरगांव. वैद्यकीय यंत्रणा के कर्मचारियों में तालमेल ना होने से सर्वसामान्य जनता उसका शिकार हो रही है. मनुष्यबल की कमी के नाम पर अर्जुनी शहर में पिछले 5 दिनों से कोरोना की जांच नहीं हो रही है. शासन द्वारा कोरोना से निपटने कितने भी प्रयास किए जाए लेकिन इस तरह की हरकतें संक्रमण को बढ़ा रही हैं. ग्रामीण अस्पताल अर्जुनी में पिछले 1 सप्ताह से कोरोना की जांच नहीं हो रही है. 23 अप्रेल को विधायक मनोहर चंद्रिकापुरे ने ग्रामीण अस्पताल में कोरोना पर समीक्षा बैठक ली थी तब मात्र 1 दिन के लिए कोविड केयर सेंटर को शुरु कर टेस्ट लिए गए थे लेकिन पुन: 24 तारीख से जांच केंद्र बंद पड़ा है.

    कर्मियों की कमी

    मनुष्य बल उपलब्ध नहीं होने से ग्रामीण अस्पताल की जांच बंद करनी पड़ी है तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व ग्रामीण भाग के स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना की जांच कर रहे हैं. ऐसी जानकारी तहसील स्वास्थ्य कार्यालय से प्राप्त हुई लेकिन अर्जुनी शहर की जांच कौन करेगा इसका कोई जवाब नहीं मिल रहा है. शहर में कोरोना टेस्ट कराने की जिम्मेदारी किस विभाग की है यह अभी तक समझ में नहीं आ रहा है. ग्रामीण अस्पताल व तहसील स्वास्थ्य अधिकारी के बीच समन्वय बराबर न होने से लोग उसका शिकार हो रहे हैं. आपातकाल में स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों ने एकजुट कार्य करने की आवश्यकता है लेकिन यहां तस्वीर उसके विपरित दिखाई दे रही है. एक जानकारी के अनुसार ग्रामीण अस्पताल में शालेय स्वास्थ्य जांच पथक था.

    शाला बंद होने से अब इस पथक का कोई काम नहीं रहा. उन्हें कोविड केयर सेंटर में काम दिया गया. ग्रामीण अस्पताल के इस पथक में से 7 से 8 कर्मी कोविड केयर सेंटर पर सेवाएं दे रहे है. कोरोना की जांच करना आसान है लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन, आयडी तैयार करना, जानकारी जमा कर मुख्यालय को प्रेषित करना, पश्चात संक्रमितों की खोज कर उनकी जांच करना आदि कार्य करना होता है जिसके लिए उपलब्ध कर्मियों की संख्या अपर्याप्त है. ग्रामीण अस्पताल में डाटा ऑपरेटर नहीं है. शालेय स्वास्थ्य जांच पथक वापस भेजे गए तो ग्रामीण अस्पताल में जांच हो सकती है. ग्रामीण अस्पताल के दो कर्मचारी आमगांव व नागपुर प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए हैं.