मौसम की मार : अल्पवर्षा से किसानों पर संकट, कई जगह रोप सूखने की कगार पर

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    • धान फसल के बीच पड़ीं दरारें

    तिरोड़ा. तहसील के चोरखमारा, बोदलकसा, रिसाला व भदभदया जैसे बड़े तालाब अंग्रेजों के जमाने के हैं. उसके बाद स्वतंत्रता काल में चंदन तालाब भुराटोला के पास, आंबेनाला निमगांव इंदोरा के पास बनाया गया.  इसका 90 प्रश. कार्य हो गया, सिर्फ 10 प्रश कार्य बाकी है. इसका भी कार्य लगभग 50 वर्ष से चल रहा है जो कछुआ गति से शुरू है. इसकी शुरुआत पूर्व विधायक स्व. शालिग्राम दीक्षित ने की थी. उसके बाद भी 3 पूर्व विधायकों का कार्यकाल जाकर वे हमारे बीच नहीं रहे.

    इसके बाद भी 25 वर्ष में 3 विधायकों का कार्यकाल बीत गया लेकिन आंबेनाला अपने आप पर आंसू बहा रहा है. जनवरी में विधायक विजय रहांगडाले ने बताया था कि वन विभाग को पैसा भरना था. उसका पैसा भोपाल में भर दिया गया है, बाकी कार्य का टेंडर निकाला जाने वाला है लेकिन कोरोना काल से यह कार्य आगे बढने में रुकावटें आ रही हैं. यह कार्य हो जाने पर यथार्थ में तहसील में हरीत क्रांति होगी. 

     

    अल्प बारिश से तालाब, नदी – नाले सूखे

    मृग नक्षत्र में सतत 15 दिनों तक बारिश हुई लेकिन जमीन के बाहर पानी नहीं बहा जिससे तालाब, नदी व नालों में पानी जमा नहीं हुआ. 22 जून से बारिश गायब रही तब नाममात्र 8 जुलाई को हुई. लगभग 1 माह से बारिश गायब होने से 8 जुलाई की बारिश अमृत का काम कर गई अन्यथा अब तक धान की नर्सरियां सूख गई होतीं. जिन किसानों के पास स्वयं के कुएं, बोरवेल या नदी नाले पर पानी होने के साथ साथ जिन्होंने वाटर पंप लगाए हैं उन किसानों ने सिंचाई कर धान की रोपाई की. लेकिन रोपाई की गई जगह पर अब दरारे पड़ रही हैं. 8 जुलाई की बारिश से भी कुछ किसानों ने रोपाई का कार्य शुरू कर लिया लेकिन वहां भी दरारें पड़ने से किसान मुसीबत में फंस गए हैं. 

    21 दिन की नर्सरी 

    धान की नर्सरी डालने के बाद अंकुर आने के पश्चात 21 दिन में नर्सरी को खोदकर कीचड़ बनाकर रोपाई करने से रोप में से नए टिलर (फुटवा, पाचरे) अधिक प्रमाण में निकलते हैं. इसमें रोगों का भी प्रमाण कम होने से फसल की पैदावार अच्छी होती है. लेकिन पानी की राह देखते हुए 40 दिन का समय बीत रहा है. ऐसी ही स्थिति रही तो उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा.

    आधारभूत धान खरीदी केंद्र पर मोटे धान को 2568 रु. प्रति क्विंटल रेट मिलने से किसानों का झुकाव मोटे प्रजाति पर ज्यादा जाता है. इस धान की उम्र 115-120 दिन की होने से व नर्सरी डालकर 40 दिन बीत गए लेकिन रोपाई नहीं होने से नर्सरी में ही नई टिलर निकलने का समय आ गया है. उसे लेकर किसानों को चिंता सता रही है. 

    बोदलकसा-चोरखमारा की पाइप लाइन का काम 2 जगह रुका

    धापेवाड़ा प्रकल्प से चोरखमारा व बोदलकसा तालाब में पानी ले जाने के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही है. इसका कार्य लोधीटोला के पास व सुकडी के पास रुक गया है. शेष कार्य पूर्ण हो गया. जून 2020 को ही पाइप लाइन के द्वारा तालाबों में पानी भरने का कार्य शुरू होने वाला था लेकिन 22 मार्च 2020 से ही पूर्णत: लाकडाउन लगने से यह कार्य रुक गए. जनवरी 2021 में यह कार्य पुन: शुरू होता तब फिर से कोरोना के कारण लाकडाउन लग गया व कार्य रुकते गया.

    पाइप लाइन खेती की जगह में से जाने से फिर किसानों ने धान की खेती में रोपाई कर डाली. अब दिसंबर में ही यह जगह खाली होगी. इस कार्य पर जोर देकर किया जाना चाहिए. यह तालाब धापेवाड़ा प्रकल्प के पानी से भर दिए जाएंगे. जिससे तहसील में निश्चित रूप से हरित क्रांति होगी, इसमें कोई दो राय नहीं है.

    तहसील की खेती को खडबंदा, चंदन तालाब, बोदलकसा, चोरखमारा, रिसाली, भदभदया जैसे बडे तालाब व गांवों में बनाए गए मालगुजारी मामा तालाब के जलसंग्रह से धरती माता की प्यास बुझाने में अपना योगदान देंगे और तहसील में चारों ओर हरियाली नजर आएंगी. लेकिन इस अधूरे कार्य को पूर्ण करने के लिए कमर कसने की आवश्यकता है. यह कार्य पूर्ण हो गए तो सिंचाई की समस्या हल हो जाएगी.

    जिससे न नर्सरी सूखेगी और न ही रोपाई सूखेगी. इतना ही नहीं किसान, मजूदरों को काम मिलेगा. व्यापार, व्यवसाय में वृद्धि होगी. यह जब होगा तक होगा, लेकिन इस समय लगभग 40 दिन से बारिश नहीं होने से नर्सरी भी सूख रही है. जिन्होंने रोपाई की उनके खेतों में दरारें पड़ रही है. इसमें किसान का पैसा भी खर्च हुआ. जिससे किसान परेशानी में आकर उसकी हालत दुबले पर दो आषाढ़ जैसी हो रही है.