हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से रखें खुद को सुरक्षित, जानें इन दोनों के बीच का अंतर

हृदय हमारे जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसके बिना जीवन ही असंभव है। हृदय संबंधी जागरूकता फैलाने के लिए पूरे विश्व में हर साल 29 सितंबर को हृदय दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन की पहल विश्व हृदय संघ के निदेशक ने 1999 में आंटोनी बेस दे लुना ने डब्ल्यूएचओ (WHO) के साथ मिलकर की थी।

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आज-कल लोगों की ज़िंदगी इतनी ज़्यादा व्यस्त हो गई है कि उनके पास खुद के लिए भी समय नहीं है। इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में लोग स्ट्रेस और तनाव से जूझते रहते हैं। इन्हीं सब चीज़ों के कारण कुछ समय से दिल की बीमारियों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। पहले दिल से जुड़ी बीमारियां सिर्फ बुज़ुर्गों में ही देखी जाती थी, लेकिन अब 22 साल के बच्चों में भी यह आम हो गई है। 

दिल की बीमारियों में हार्ट अटैक और कार्डियकअरेस्ट से सबसे ज़्यादा लोगों की मौतें होती हैं। इन दोनों के बीच में अंतर होता है, जिसकी जानकारी कई लोगों के पास नहीं होती है। कई लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को एक ही मान लेते हैं। तो आइए आज आपको बताएं इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में…

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्‍ट में क्‍या अंतर है-

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दोनों ही दिल से जुड़े संकट को सूचित करते हैं। लोगों को यह दोनों एक ही लगते हैं, लेकिन आपको बता दें की यह दोनों अलग अलग उपचार से ठीक किए जाते हैं। 

क्या होता है हार्ट अटैक?

दिल का दौरा तब होता है जब कोरोनरी धमनियों में रुकावट पैदा हो जाती है। यह रक्त वाहिकाएं हैं जो हृदय की मांसपेशी तक खून को पहुंचाती हैं। इसलिए इसे अपना काम करने के लिए ऑक्सीजन युक्त रक्त की ज़रूरत होती है। हार्ट अटैक आमतौर पर किसी एक प्लैक के फटने की वजह से आता है, जिससे फटने की जगह पर खून का थक्का बन जाता है। इस थक्के की वजह से कोरोनरी धमनी से जाने वाले खून की आपूर्ति बंद हो जाती है जिससे हार्ट अटैक आता है। 

हार्ट अटैक के लक्षण (Symptoms of heart attack)-

हार्ट अटैक के लक्षण समझने बेहद ज़रूरी है। इसमें लोगों को छाती में दर्द, शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द महसूस हो सकता है, जैसे दर्द छाती से आपके हाथों की ओर बढ़ रहा है (आमतौर पर बायां हाथ ज़्यादा प्रभावित होता है), जबड़ा, गला, गर्दन, पीठ और पेट में दर्द भी शामिल है। यहां तक की लोगों को चक्कर आना, पसीना आना, साँस फूलना, मितली आना या उल्टी, घबराहट, खांसी या घरघराहट भी शामिल है। अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर पास ज़रूर जाना चाहिए। क्यूंकि यह सारे लक्षण हार्ट अटैक के हैं।   

हार्ट अटैक होने पर क्या करें?

हार्ट अटैक की अवस्था में मरीज़ को तुरंत अपातकालीन चिकित्सीय उपचार की ज़रूरत होती है। इस स्थिति में मरीज़ का हर मिनट कीमती होता है। अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस को बुलाएं। अस्पताल के अपातकालीन विभाग के विशेषज्ञों व अन्य कर्मचारियों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है कि वह हार्ट अटैक के द्वारा धड़कने रूक जाने पर भी कई सफल प्रयास कर व्यक्ति की हृदय धड़कनों को दोबारा ला सकते हैं।

क्या होता है कार्डियक अरेस्ट?

कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल पूरी तरह से धड़कना बंद हो जाएया फिर वो इतनी तेजी से धड़क रहा होता है जिससे कार्डियक चेंबर का प्रभावी तौर पर संकुचन नहीं हो पाता। जब हृदय अचानक पूरे शरीर के लिए खून की पम्पिंग करना बंद कर देता है।  खून पूरे शरीर तक नहीं पहुँच पता, फिर जब मस्तिष्क में खून पहुंचना बंद हो जाता है तो इंसान बेहोश हो जाता है और साँस रुक जाती है। होश न रहना, सांसों और धड़कन के न होने से कार्डियक अरेस्ट का निदान हो पाता है। 

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण (Symptoms of Cardiac Arrest)-

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण भी कुछ हद तक सामान होते हैं। इसमें व्यक्ति थकान महसूस करता है, हृदय का धकधकाना बंद हो जाना, हृदय में दर्द महसूस होना, चक्कर आना और सांसों का छोटा होना यह सारेकार्डियक अरेस्ट के लक्षण होते हैं। इन सब मामलों में डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं। 

कार्डियक अरेस्ट होने पर क्या करें?

कार्डियक अरेस्ट के कुछ ही मिनटों में इलाज प्रदान करना बेहद आवशयक होता है। इसके लिए आप सबसे पहले अस्पताल कॉल कर एंबुलेंस व अपातकाल चिकित्सा को बुलाएं। जब तक अपातकालीन इलाज शुरू नहीं होता तब तक आप मरीज़ को डिफब्रिलेटर (Defibrillator; हृदय पर विद्युतिय झटके देने वाली मशीन) से प्राथमिक इलाज करते रहें। इसके अलावा कार्डियक अरेस्ट मरीज़ को तुरंत CPR देनी चाहिए।