जयपुर. अशोक गहलोत ने राजस्थान में एक बार फिर विक्ट्री हासिल कर ली हैं। राजस्थान में गहलोत सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और वह अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार अल्पमत में नहीं हैं। कांग्रेस ने सचिन पायलट को आखिरी मौका दिया था कि वह पार्टी में वापस लौट आए। सुबह से भाजपा और कांग्रेस के बीच न केवल व्यस्त बातचीत और शब्दों का युद्ध देखा गया, बल्कि गहलोत के दो करीबी विश्वासपात्रों के निवास और संपत्तियों पर आईटी विभाग द्वारा छापे भी मारे गए, कांग्रेस ने इसे “विच-हंट” का नाम दिया। जैसा कि अफवाहें आने लगी की पायलट भाजपा में शामिल होने वाले हैं, विद्रोही नेता ने कथित तौर पर कांग्रेस के खिलाफ बयान देते हुए कहा था कि गहलोत के साथ काम करना “कठिन” था।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी किसी अन्य राज्य को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती है, क्योंकि कांग्रेस पहले ही कर्नाटक और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने और सरकार बनाने के बाद भी हार गई थी। कांग्रेस भाजपा के साथ पायलट की भविष्य की चाल और उसकी सौदेबाजी की शक्ति का भी आकलन कर रही हैं। इससे पहले, कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक में सभी की उपस्थिति को अनिवार्य करते हुए अपने सभी विधायकों को व्हिप जारी किया था। राज्य में कांग्रेस के राजनीतिक बहाव कुछ ठीक नज़र नहीं आ रहा था। चार माह पहले जिस तरह मध्य प्रदेश कांग्रेस के हाथो से निकल गया था उसी तरह राजस्थान की सियासत भी मुट्ठी से खिसकने वाली थी। इससे एक बात तो साफ़ हो गई है की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं में तालमेल की कमी हैं।
इसके बावजूद अब भी कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट के इंतज़ार में बैठी हैं। सुबह राजस्थान कांगेस के कार्यालय से पायलट के जितने पोस्टर उतारे गए थे उन्हें वापस से लगाना शुरू कर दिया गया हैं। जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं की वह पार्टी में वापसी कर सकते हैं। कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट की वापसी एक बहुत बड़ा फैसला हो सकता है क्योंकि यह पार्टी के साथ साथ पायलट के राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगा।