Post-Hurricane Peace: It Will Take Time for Cyclone Affected People to Recover

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    भुवनेश्वर/ कोलकाता/रांची. चक्रवाती तूफान ‘यास’ के बुधवार सुबह ओडिशा के भद्रक जिले के धमरा बंदरगाह के पास दस्तक देने की आशंका है। इसके चलते पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जोखिम वाले क्षेत्रों से लाखों लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। पड़ोसी राज्य झारखंड ने भी अलर्ट जारी किया है और चक्रवात के प्रभाव के मद्देनजर तैयारी की जा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि उनके प्रशासन ने नौ लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

    वहीं, ओडिशा सरकार का कहना है कि उसने सुरक्षा को देखते हुए तटीय जिलों से दो लाख से अधिक लोगों को निकाला है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि ‘यास’ के मंगलवार शाम तक बहुत भीषण चक्रवाती तूफान में बदलने की और चांदबाली में सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका है। उन्होंने कहा कि चक्रवात के दस्तक देने के छह घंटे पहले और बाद तक इसका गंभीर असर देखने को मिलेगा।

    क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, भुवनेश्वर के वैज्ञानिक डॉ उमाशंकर दास ने बताया कि चक्रवात ओडिशा के भद्रक जिले में धमरा और चांदबाली के बीच टकराने का अनुमान है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए 74,000 से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अलावा दो लाख से अधिक पुलिसकर्मियों एवं नागरिक स्वयसेवकों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) कर्मियों को तैनात किया गया है और आवश्यकता पड़ने पर सेना की भी मदद ली जाएगी।

    बनर्जी ने कहा, ” हमने नौ लाख लोगों को राहत एवं बाढ़ केंद्रों में पहुंचाया है। राज्य में ऐसे 4000 केंद्र हैं। हम 24 घंटे हालात पर नजर बनाए हुए हैं। निगरानी के लिए प्रत्येक ब्लॉक में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। साथ ही राज्य सचिवालय में भी नियंत्रण कक्ष बनाया गया हैं।” उन्होंने कहा, ” मुख्य एवं गृह सचिव जिलाधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं। मैंने दक्षिण एवं उत्तर 24 परगना, झाड़ग्राम, पूर्व मेदिनीपुर के जिलाधिकारियों से बात की है।”

    मुख्यमंत्री ने कहा कि कोलकाता के लिए भी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। उधर, ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त पी के जेना ने कहा कि निचले इलाके के कच्चे घरों में रहने वाले 2.10 लाख से अधिक लोगों को चक्रवात आश्रय गृहों में भेजा गया है। इनमें बालासोर जिले के सबसे अधिक 74,132 लोग और भ्रदक जिले के 73,103 लोग शामिल हैं। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि करीब 5,000 ऐसी गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है,जोकि एक जून तक बच्चे को जन्म दे सकती हैं।

    मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने गृह राज्य मंत्री डी एस मिश्रा को राज्य के उत्तरी हिस्से में हालात की निगरानी करने के लिए बालासोर भेजा है। जेना ने कहा कि चार तटीय जिलों केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, भद्रक और बालासोर सबसे अधिक जोखिम वाले इलाके हैं जबकि यास के चलते मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़, ढेंकनाल, अंगुल के अलावा पुरी और खुर्दा जिले का भी हिस्सा प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ के 52 और ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल की 60 टीमों और अग्निशमन के 205 दलों समेत 404 बचाव दल जोखिम वाले जिलों में तैनात रहेंगे। आईएमडी ने मंगलवार सुबह जारी अपने बुलेटिन में कहा कि ‘यास’ के अगले 12 घंटे में उत्तर-पश्चिमोत्तर दिशा में बढ़ने की संभावना है।

    आईएमडी ने कहा कि यह प्रवाह पिछले छह घंटे के दौरान 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर-पश्चिमोत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है। सुबह साढ़े पांच बजे यह यह पारादीप (ओडिशा) से करीब 320 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व और दीघा (पश्चिम बंगाल) से 420 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में था। ओडिशा के मयूरभंज जिले और पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों में हवा की रफ्तार 100-120 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 145 किलोमीटर प्रति घंटे की हो सकती है।

    ओडिशा के पुरी, कटक, खुर्दा और जाजपुर जिले तथा पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर और उत्तरी 24 परगना जिलों में 80-90 किलोमीटर रफ्तार की हवाएं 110 किलोमीटर तक पहुंच सकती हैं। मौसम विभाग ने अगली सूचना तक मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने की सलाह दी है। दक्षिण पूर्व रेलवे ने भी बुधवार तक कई पैसेंजर स्पेशल ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा की है।

    वहीं, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि झारखंड ने भी चक्रवात के जोखिम को देखते हुए पश्चिम बंगाल और ओडिशा की सीमा के पास स्थित पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम जिलों से लोगों को हटाया है। आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि चक्रवात के चलते कोल्हन संभाग प्रभावित हो सकता, जिसमें पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले आते हैं।

    उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों से सटे जिलों में एनडीआरएफ टीमों को तैनात किया गया है। कौशल ने कहा कि अस्पतालों से बिजली, ऑक्सीजन एवं अन्य आवश्यक आपूर्ति के संबंध में पर्याप्त इंतजाम रखने का कहा गया है। मौसम विभाग ने झारखंड में 110-120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना जतायी है। (एजेंसी)