Brahmins, idols, jayanti participation to be practiced for every party

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में अचानक से पिछड़े नहीं ब्राह्म्ण धुरी बन गए हैं. वर्णवादी व्यवस्था की इस सबसे अगड़ी जाति के वोटों की अरसे तक स्वाभाविक दावेदार रही कांग्रेस और हाल फिलहाल में इसका साथ पाकर सत्ता की सीढ़ियां चढ़ती रही भाजपा या फिर एक बार दलित ब्राह्म्ण गठजोड़ से कुर्सी पा चुकी बसपा तो इन्हें रिझाने में लगी ही हैं. अब समाजवादी पार्टी भी इस मैदान में कूद पड़ी है. परशुराम जयंती पर अवकाश घोषित करने के अपने फैसले को याद कराते हुए पार्टी प्रमुख ने अब इनकी मूर्ति लगवाने की मुहिम शुरु कर दी है.

दरअसल कानपुर के बिकरू कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उपजी प्रतिक्रियाओं में विपक्ष को ब्राह्मण वोट साधने की संभावना दिखने लगी है. कुल 22 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में करीब 11 प्रतिशत ब्राह्मण हैं. ब्राह्मण मतों के सहयोग से सत्ता का सुख प्राप्त कर चुके सभी दल अब इस समुदाय को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. फिलहाल सूबे की सियासत का केंद्र ब्राह्मण बने हुए हैं. आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सूबे के चारों प्रमुख सियासी दल अपने अपने तरीके से ब्राह्मण समुदाय को पाले में लाने की कवायद में लगे हैं.

कांग्रेस अपना साथ छोड़ चुके ब्राह्मण मतदाताओं को “ब्राह्मण चेतना संवाद” के माध्यम से पुनः साधने में जुटी है तो 2007 में ब्राह्मणों को साथ लेकर सरकार बना चुकी बसपा भी कहीं पीछे नहीं है. इसी क्रम में अब समाजवादी पार्टी ब्राह्मणों को साधने के लिए भगवान् परशुराम के सहारे ब्राह्मण कार्ड खेलने जा रही है. भाजपा ने हाल फिलहाल में विधानसभा से लेकर राज्यसभा में मुख्य सचेतकों की नियुक्ति में ब्राह्म्ण कार्ड खेला है और अब उनकी हर समस्या में फौरन राहत पहुंचा रही है. कांग्रेस ने और आगे निकल कर न केवल अपने पूर्व केंद्रीय मंत्री को ब्राह्म्ण समुदाय के जख्मों पर मरहम लगाने भेजा है बल्कि वाराणसी के इस समुदाय के अपने नेता राजेश मिश्रा को भी सक्रिय कर दिया है.

विकास दूबे एनकाउंटर के बाद भाजपा ने किया था डैमेज कंट्रोल की कोशिश

उत्तर प्रदेश के कानपुर के बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से ब्राह्मणों में उपजी नाराजगी के बाद से यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक की सियासत तेज हो गयी है. अपराधी विकास दूबे के एनकाउंटर के बाद कांग्रेस व सपा ने बीजेपी पर ब्राह्मणों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. जिसके बाद डैमेज कंट्रोल में जुटे सरकार के तीन ब्राह्मण मंत्री डॉ दिनेश शर्मा, ब्रजेश पाठक और सतीश द्विवेदी. इन्होने विपक्ष पर हमला बोलाते हुए ब्राह्मणों को भाजपा के साथ रहने और होने की बात कही थी.

वैसे तो जातीय क्षत्रपों और महापुरुषों की मूर्तियां लगवा कर वोट साधने की कवायद में अभी तक सूबे के सभी दल आगे रहे हैं. बसपा सुप्रीमों मायावती ने दलित महापुरुषों की मूर्तियाँ लगवाईं तो सपा ने पार्टी के पुरोधा कहे जाने वाले लोहिया और जनेश्वर मिश्र की मूर्तियाँ लगवाईं. सपा-बसपा सरकार के इसी नक्शेकदम पर योगी सरकार भी आगे बढ़ी और  महाराज सुहेलदेव की प्रतिमा लगवाई, निषादराज गुह की प्रतिमा प्रस्तावित है. सीएम योगी ने अयोध्या में सरयू नदी के तट पर 251 मीटर ऊंची भगवान श्रीराम की प्रतिमा लगाये जाने की घोषणा किया था.

समाजवादी पार्टी मूर्ति से साध रही सियासत, भाजपा से नाराज ब्राह्मणों को पाले में लाने की कोशिश  

सपा नेताओं की अगुआई वाले चिरंजीव भगवान परशुराम ट्रस्ट की ओर से लखनऊ में 108 फुट की महर्षि परशुराम की प्रतिमा लगवाई जाएगी. वहीं, सपा प्रबुद्ध सभा की ओर से हर जिले में परशुराम प्रतिमा लगाने का फैसला किया गया है. जिले में भगवान परशुराम और कुछ जिलों में प्रथम स्वाधीनता संग्राम के नायक मंगल पांडेय की प्रतिमा लगवाये जाने की तैयारी की जा रही है. सपा नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी हमेशा सामाजिक भागीदारी व सम्मान की पक्षधर रही है. सरकार रहते परशुराम जयंती पर छुट्टी घोषित की गई थी, जिसे भाजपा सरकार ने खत्म कर दिया. समाजवादी पार्टी प्रदेश में गरीब ब्राह्मण परिवारों को उनकी बेटियों की शादी कराने में आर्थिक मदद भी करेगी. इस सम्बन्ध में पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ब्राह्मण नेताओं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पाण्डेय, पूर्व मंत्री मनोज पाण्डेय, अभिषेक मिश्र आदि की बैठक भी हुई. इतना ही नहीं प्रतिमा बनवाने के लिए परशुराम चेतना पीठ ट्रस्ट बनाकर इसके निर्माण लिए चंदा जुटाने का काम भी किया जाएगा.

बसपा सुप्रीमो भी ब्राह्मण मतो के लिए फेंक चुकी हैं सियासी तीर

विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी एक बयान जारी कर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर अपरोक्ष रूप से ब्राह्मणों को प्रताड़ि‍त करने का आरोप लगाया था. मायावती ने योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि प्रदेश सरकार ऐसा कुछ ना करे जिससे ब्राह्मण समाज आतंकित‍, भयभीत और असुरक्षित महसूस करें. 2007 विधानसभा चुनाव में मायावती ब्राह्मण वोटों के चलते ही प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही थी.

अपने से दूर हुए ब्राह्मण मतों को जोड़ने में कांग्रेस भी पीछे नहीं

कांग्रेस के जितिन  प्रसाद पार्टी से दूर हुए और फिलहाल बीजेपी के मजबूत ब्राह्मण वोट बैंक को फिर से पाले में लाने के लिए ‘ब्राह्मण चेतना संवाद’ की शुरुआत कर चुकी है. कांग्रेस के जितिन प्रसाद ब्राह्मणों से जुड़े मसलों पर खुलकर सक्रिय हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा की अगुआई वाला कांग्रेस नेतृत्व भी संदेश देने में जुटा है. पिछले दिनों गाजीपुर में फौजी ब्राह्मण परिवार की पुलिस द्वारा पिटाई की घटना के बाद कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंचा भी था. इन कवायदों को किनारे करने के लिए सरकार की ओर से राज्यमंत्री आनंदस्वरूप शुक्ला भी ढांढस बंधाने पहुंचे थे. कांग्रेस ने यूपी की ब्राह्म्णों की तरजीह को ध्यान में रखते हुए अपने नेता राजेश मिश्रा को आगे किया है.

-राजेश मिश्र