सरकारी स्कूलों का बढ़ा महत्व, पालक दिलवा रहे बच्चों को प्रवेश

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दिल्ली. निजी स्कूलों की फीस को लेकर मनमानी और तरह- तरह के शुल्क ऐंठने की प्रवृत्ति के बीच लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी के चलते  बच्चों को निजी स्कूलों (Private schools) में अधिक फीस देकर नहीं पढ़वा पाने के कारण पालकों ने सरकारी स्कूलों का रुख किया है, कई राज्यों में सरकारी स्कूलों (Government schools) में एडमिशन की संख्या में वृद्धि के आंकड़े इसके गवाह हैं.

बढ़ी हुई फीस से निराशा 

हरियाणा में 2 लाख बच्चों ने निजी स्कूलों से नाता तोड़ते हुए सरकारी स्कूलों में दाखिले लिए. हरियाणा सरकार (Haryana government) ने भी इन स्कूलों में आने वाले विद्यार्थियों को नियमों में कई छूट दी है. पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी और केन्द्र शासित चंडीगढ़ में जुलाई तक पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले 4985 विद्यार्थी निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला ले चुके थे. शिक्षा विभाग का अनुमान है कि अक्टूबर तक यह संख्या 10 हजार के पार पहुंच सकती है. संख्या बढ़ने के पीछे वजह बताई जाती है कि लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद रहे, लेकिन निजी स्कूलों ने फीस कम करने की बजाय बढ़ा दी. नाराज पालकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया.

पंजाब में पालकों ने दिखाया आक्रोश 

पंजाब में  भी लॉकडाउन के दौरान लोगों का निजी स्कूलों की मनमानी के कारण उनसे मोह भंग हो रहा है. लोग अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर सरकारी स्कूलों में भेज रहे हैं. शिक्षा मंत्री इंदर सिंगला ने खुद इसकी पुष्टि की और बताया कि लॉकडाउन  के बाद सरकारी स्कूलों में 1.65 लाख दाखिले हो चुके हैं. निजी स्कूलों से मोहभंग के पीछे पंजाब में लॉकडाउन  के दौरान कामकाज ठप्प होना, नौकरीपेशा लोगों की तनख्वाहों में कटौती होने के साथ ही निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाना और अभिभावकों पर फीस जमा करने के लिए दबाव डालना प्रमुख वजह बताई जाती है. पंजाब में 91,175 सरकारी स्कूल हैं.

राजस्थान में निजी स्कूल बैकफुट पर 

राजस्थान  में भी कोरोना(Coronavirus pandemic) से ऐसी तंगी आई, कि लोग निजी से हटाकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिला रहे हैं, क्योंकि वह निजी स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ हैं. ऐसे में सरकारी स्कूलों का ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है. दूसरी ओर फीस न आने की वजह से निजी स्कूलों ने अपना स्टाफ घटा दिया है या स्टाफ का वेतन 50 फीसदी तक कम कर दिया है.

गुजरात में गवर्नमेंट स्कूलों का क्रेज बढ़ा 

गुजरात के सभी शहरों में लोग निजी स्कूलों से किनारा करने लगे हैं. अकेले अहमदाबाद महानगर पालिका में चलने वाले 370 सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में 2106 छात्रों ने निजी स्कूल छोड़ कर प्रवेश लिया. हिन्दी माध्यम के स्कूलों में 300 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया. महानगर पालिका के सभी स्कूलों में 20 हजार से अधिक बच्चों ने प्रवेश लिया.

तमिलनाडु में रिकार्ड एडमिशन 

तमिलनाडु में हर साल निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए भारी मारामारी मचती थी, लेकिन इस बार सरकारी स्कूलों में रिकार्ड एडमीशन हो रहे. यहां भी वजह और निजी स्कूलों से शिकायतें अन्य राज्यों जैसी है. नई बात यह है कि एडमीशन बढ़ने के साथ ही सरकारी स्कूलों में संसाधन और सुविधाएं जुटाने की मांग तेज हुई है. चेन्नई जैसे शहर में जहां अब तक अभिभावक अक्सर अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने में कतराते रहे हैं तथा निजी स्कूल में प्रवेश को प्राथमिकता देते रहे हैं लेकिन कोरोना महामारी में यह मिथक टूटता नजर आ रहा है. मौजूदा समय में तमिलनाडु में 37,400 सरकारी स्कूल तथा 8,300 सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं. इनमें करीब 66 लाख छात्र पढ़ रहे हैं. लेकिन इस साल सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का जबरदस्त रुझान देखा गया है. बताया जाता है कि करीब 2.2 लाख बच्चों ने कक्षा छह, नवीं, दसवीं व ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश लिया है. सीबीएसई स्कूल में पढ़ रहे करीब 25 हजार बच्चों ने भी इस बार सरकारी स्कूलों में प्रवेश करा लिया है. बताया जाता है कि 31 अक्टूबर तक सीबीएसई स्कूलों के 50 हजार बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला ले सकते हैं.

सरकारी स्कूलों में प्रवेश की स्थिति

  • 2 लाख बच्चों का एडमिशन हरियाणा में 
  • 10,000 चंडीगढ़ में अनुमानित संख्या 
  • 1.65 लाख दाखिले पंजाब में 
  • 20,000   बच्चों का एडमिशन गुजरात के मनपा के स्कूलों में 
  • 2.2  लाख बच्चों ने तमिलनाडु में छटवीं, नवीं, दसवीं व ग्यारहवीं कक्षा में लिया प्रवेश