PM-MODI
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    नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने संसद में हंगामा करने और नये मंत्रियों का दोनों सदनों में परिचय कराने में बाधा डालने पर सोमवार को विपक्ष पर तीखा हमला बोला और कहा कि ऐसी ‘‘नकारात्मक मानसिकता” पहली बार संसद में देखी गई है। प्रधानमंत्री जैसे ही लोकसभा (Loksabha) और राज्यसभा (Rajyasabha) में मंत्रिपरिषद के सदस्यों का परिचय कराने के लिए खड़े हुए विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करना शुरु कर दिया और जमकर नारेबाजी भी की।

    इस व्यवधान से क्षुब्ध प्रधानमंत्री ने विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है कि दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और महिला मंत्रियों का यहां परिचय कराया जाए। उन्होंने कहा कि कई नऐ मंत्री किसानों के बेटे हैं और ओबीसी समुदाय से आते हैं। इस बीच केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्षी सदस्य आसन के समीप पहुंच गए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों को अपनी सीट पर लौट जाने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने एक ना सुनी।

    हंगाम के बीच ही प्रधानमंत्री ने विपक्षी सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मैं सोच रहा था कि सदन में एक उत्साह का वातावरण होगा क्योंकि बड़ी संख्या में हमारी महिला सांसद मंत्री बनी हैं…आज खुशी का माहौल होगा कि आदिवासी साथी बड़ी संख्या में मंत्री बने हैं।” उन्होंने कहा कि किसान परिवार और ग्रामीण परिवेश से आने वाले, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समाज से आने वालों को बड़ी संख्या में मंत्रिपरिषद में स्थान मिला है, उनके परिचय में खुशी होनी चाहिए थी।   

    मोदी ने कहा, ‘‘इस बार सदन में हमारे साथी सांसद जो किसान परिवार से हैं, ग्रामीण परिवेश के हैं, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से हैं, ओबीसी समाज से हैं, बहुत बड़ी मात्रा में उनको मंत्रिपरिपषद में मौका मिला, उनका परिचय करने का आनन्द होता, हर बेंच को थपथपा करके उनका गौरव किया गया होता।”

    प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन शायद देश के दलित मंत्री बने, देश की महिला मंत्री बने, देश के ओबीसी मंत्री बने, देश के किसानों के बेटे मंत्री बने, ये बात कुछ लोगों को रास नहीं आती है और इसलिए उनका परिचय तक नहीं होने देते हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए अध्यक्ष जी, मंत्रिमंडल में नवनियुक्त सदस्यों का लोकसभा में परिचय कराया गया माना जाए । कमोवेश ऐसी ही स्थिति राज्यसभा में देखने को मिली जब प्रधानमंत्री मंत्रिपपरिषद के सदस्यों का परिचय कराने के लिए अपनी सीटे पर खड़े हुए। हंगामे के बीच ही उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधा और सदस्यों की सूची सदन के पटल पर पेश की। हंगामें ओर व्यवधान के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही कुछ बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

    इससे पहले, प्रधानमंत्री ने सांसदों और सभी राजनीतिक दलों से संसद के मानसून सत्र में तीखे से तीखे सवाल करने का आग्रह किया लेकिन साथ में यह भी कहा कि शांत वातावरण में वह सरकार को जवाब देने का मौका दें। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले पत्रकारों से चर्चा में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 सहित सभी मुद्दों पर यह सत्र सार्थक चर्चा के लिए समर्पित हो क्योंकि जनता कई मुद्दों पर जवाब चाहती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार भी पूरी तरह तैयार है।

    प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों के नेताओं से मंगलवार की शाम कुछ समय निकालने का आग्रह किया और कहा कि वह महामारी के संबंध में सारी विस्तृत जानकारी उन्हें भी देना चाहते हैं। उन्होंने टीका लगाने वालों को ‘‘बाहुबली” करार दिया और कहा कि अब तक चालीस करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है और आगे भी यह सिलसिला तेज गति से जारी रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना ऐसी महामारी है जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ है… पूरी मानव जाति को अपने चपेट में लिया हुआ है। इसलिए हम चाहते हैं कि संसद में भी इस महामारी के संबंध में सार्थक चर्चा हो। प्राथमिकता देते हुए इस पर चर्चा हो।”

    प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्थक चर्चा से सांसदों के भी कई सारे सुझाव मिलेंगे और महामारी के खिलाफ लड़ाई में बहुत नयापन भी आ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ कमियां रह गई हों तो उसमें भी सुधार किया जा सकता है। इस लड़ाई में सभी साथ मिलकर आगे बढ़ सकते हैं। मैंने सदन के सभी नेताओं से भी आग्रह किया है कि कल शाम को अगर वह समय निकालें तो महामारी के संबंध में सारी विस्तृत जानकारी उनको भी मैं देना चाहता हूं।”

    प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के मुद्दे पर वह सभी मुख्यमंत्रियों और अन्य मंचों पर भी लोगों से चर्चा करते रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह सत्र परिणाम देने वाला हो। सार्थक चर्चा के लिए समर्पित हो। देश की जनता जो जवाब चाहती है, वह जवाब देने की सरकार की पूरी तैयारी है। मैं सभी सांसदों और राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि वह तीखे से तीखे सवाल पूछे …हर बार सवाल पूछे…लेकिन शांत वातावरण में सरकार को जवाब देने का मौका भी दें।” उन्होंने कहा कि जनता के पास ‘‘सत्य” पहुंचाने से लोकतंत्र को भी ताकत मिलती है, जनता का भी विश्वास बढ़ता है और देश की प्रगति की गति भी तेज होती है।(एजेंसी)