Mental Health
युवाओं की मेंटल हेल्थ (फाइल फोटो)

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नई दिल्ली. कोविड-19 वैश्विक महामारी के बढ़ते प्रकोप से लोगों की आजीविका पर पड़ रहे प्रभाव और जनमानस में फैले डर तथा चिंता के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बृहस्पतिवार को दक्षिण एशियाई देशों से आह्वान किया कि वे मानसिक स्वास्थ्य की ओर अधिक ध्यान दें तथा आत्महत्या की घटनाओं को रोकने का प्रयास करें। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण एशिया क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण से संबंधित कलंक की धारणा से अकेलेपन और अवसाद की भावना पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौर में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला एक कारण घरेलू हिंसा भी है जो विषाणु के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी देशों में बढ़ी है।

सिंह ने कहा, “जीवन और आजीविका को प्रभावित करने वाली महामारी से लोगों में भय, चिंता, अवसाद और तनाव उत्पन्न हो रहा है। सामाजिक दूरी, अकेलापन और विषाणु के बारे में लगातार नयी जानकारी सामने आने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।” उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि हमें महामारी के प्रसार को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति और आत्महत्या की प्रवृत्ति का पहले से पता लगाने के उपाय करने होंगे। सिंह ने कहा कि विश्व भर में प्रतिवर्ष आठ लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं और यह 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं की मृत्यु का बहुत बड़ा कारण है।

डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि किसी एक वयस्क द्वारा आत्महत्या की घटना के अलावा 20 से अधिक लोग आत्महत्या का प्रयास कर चुके होते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वभर में आत्महत्या से होने वाली मौतों में से 39 प्रतिशत मौतें डब्ल्यूएचओ दक्षिण एशिया क्षेत्र में होती हैं।(एजेंसी)