
नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा, आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कुछ दिन पहले चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के बाद एक बार फिर इतिहास रचने के उद्देश्य से शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य L1′ का यहां स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया। आज ISRO ने बताया कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। भारत का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।
Aditya-L1 started generating the power. The solar panels are deployed. The first EarthBound firing to raise the orbit is scheduled for September 3 around 11:45 hours, says ISRO pic.twitter.com/cmRAnznogL
— ANI (@ANI) September 2, 2023
ISRO के अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ। रॉकेट ने 63 मिनट 19 सेकेंड बाद आदित्य को 235 x 19500 Km की ऑर्बिट में छोड़ दिया। करीब 4 महीने बाद यह लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है।
PSLV-C57/Aditya-L1 Mission | The launch of Aditya-L1 by PSLV-C57 is accomplished successfully. The vehicle has placed the satellite precisely into its intended orbit. India’s first solar observatory has begun its journey to the destination of Sun-Earth L1 point, say ISRO pic.twitter.com/EEU70Bq1sM
— ANI (@ANI) September 2, 2023
आदित्य L1 का सफर समझें 4 आसान पॉइंट में
- आदित्य L1, 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ाएगा।
- इसके बाद आदित्य के थ्रस्टर फिर से फायर होंगे और ये L1 पॉइंट की ओर निकल जाएगा।
- वहीं 110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के पास पहुंच जाएगा
- इसके साथ ही थ्रस्टर फायरिंग के जरिए आदित्य को L1 पॉइंट के ऑर्बिट में सफलतापूर्वक डाल दिया जाएगा।
क्या है लैग्रेंजियन पॉइंट
बताते चलें कि, वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र-‘एस्से सुर ले प्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772′ के लिए रखा गया है।लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है।
#WATCH | Aditya L-1 Satellite has been separated. PSLV C-57 mission Aditya L-1 accomplished. PSLV C-57 has successfully injected the Aditya L-1 satellite into the desired intermediate Orbit, says ISRO pic.twitter.com/OOiEMcTLf3
— ANI (@ANI) September 2, 2023
जानकारी दें कि, पिछले महीने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता प्राप्त कर भारत ऐसा कीर्तिमान रचने वाला दुनिया का पहला और अब तक का एकमात्र देश बन गया है। ‘आदित्य एल1′ सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा।
सूर्य मिशन का नाम ‘आदित्य-L1’ही क्यों
गौरतलब है कि, सूर्य मिशन को ‘आदित्य-L1′ नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा। ISRO ने कहा कि आदित्य-एल1 को प्रक्षेपण से लेकर एल1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे।
सूर्य का अध्ययन करने का कारण बताते हुए इसरो ने कहा कि यह विभिन्न ऊर्जा कणों और चुंबकीय क्षेत्रों के साथ-साथ लगभग सभी तरंगदैर्ध्य में विकिरण उत्सर्जित करता है। पृथ्वी का वातावरण और उसका चुंबकीय क्षेत्र एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है और हानिकारक तरंगदैर्ध्य विकिरण को रोकता है। ऐसे विकिरण का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष से सौर अध्ययन किया जाता है। मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में सूर्य के परिमंडल की गर्मी और सौर हवा, सूर्य पर आने वाले भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष मौसम आदि का अध्ययन करना शामिल है।
जानें ‘आदित्य-L1′ के 7 इक्विपमेंट्स के नाम और उनके काम
अध्ययन को अंजाम देने के लिए ‘आदित्य-L1′ उपग्रह अपने साथ सात वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है। इनमें से ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) सूर्य के परिमंडल और सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। वीईएलसी यान का प्राथमिक उपकरण है, जो इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए प्रति दिन 1,440 तस्वीरें धमती पर स्थित केंद्र को भेजेगा। यह आदित्य-एल1 पर मौजूद ‘सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण’ उपकरण है। ‘द सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’ सूर्य के प्रकाशमंडल और वर्णमंडल की तस्वीरें लेगा तथा सौर विकिरण विविधताओं को मापेगा।
तो वहीं ‘आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट’ (एएसपीईएक्स) और ‘प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य’ (पीएपीए) नामक उपकरण सौर पवन और ऊर्जा आयन के साथ-साथ ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेंगे। ‘सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ और ‘हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (एचईएल1ओएस) विस्तृत एक्स-रे ऊर्जा क्षेत्र में सूर्य से आने वाली एक्स-रे फ्लेयर का अध्ययन करेंगे। ‘मैग्नेटोमीटर’ नामक उपकरण ‘L1′ बिंदु पर अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापने में सक्षम है। ‘आदित्य-L1′ के उपकरण इसरो के विभिन्न केंद्रों के सहयोग से स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।