Asaduddin Owaisi
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हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि पूजा स्थल अधिनियम भारतीय संविधान के तहत धर्मनिरपेक्षता के प्रति अक्षुण्ण प्रतिबद्धता का दायित्व देता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदू समुदाय के पूजा-पाठ पर रोक लगाने से इनकार करने वाली मीडिया की एक खबर को टैग करते हुए हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया।

उन्होंने लिखा, ‘‘ पूजा स्थल अधिनियम भारतीय संविधान के तहत धर्मनिरपेक्षता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को लागू करने के लिए एक अक्षुण्ण दायित्व निर्धारित करता है…गैर-प्रतिगमन मौलिक संवैधानिक सिद्धांतों की एक मूलभूत विशेषता है जिसमें धर्मनिरपेक्षता एक मुख्य घटक है। इस प्रकार पूजा स्थल अधिनियम एक विधायी हस्तक्षेप है जो हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की एक अनिवार्य विशेषता के रूप में गैर-प्रतिगमन को संरक्षित करता है।”

एआईएमआईएम प्रमुख ने आगे कहा, ‘‘न्यायालय को अपनी ही मिसाल याद दिलाने के लिए बाध्य हूं।” अधिनियम (पूजा स्थल अधिनियम, 1991) किसी भी पूजा स्थल के स्वरूप में बदलाव पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को उसी रूप में बनाए रखने का प्रावधान करता है जैसा कि वह 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था।

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मस्जिद परिसर में हिंदू और मुस्लिम पक्षों द्वारा किए जाने वाले धार्मिक रस्मों को लेकर ‘‘यथास्थिति” बनाए रखने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ज्ञानवापी मसाजिद इंतजामिया कमेटी की नयी याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति देने संबंधी अधीनस्थ अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया था।

(एजेंसी)