नयी दिल्ली. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि असम के विधायक अखिल गोगोई को जमानत नहीं दी जा सकती क्योंकि वह राज्य में माओवादी गतिविधियों के एक सरगना हैं। असम में, 2019 में संशोधित नागरिकता कानून(सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ कथित तौर पर मुखर रहे निर्दलीय विधायक ने नौ फरवरी के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
उच्च न्यायालय ने एक एनआईए अदालत को उनके खिलाफ दो मामलों में एक में आरोप तय करने के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने गोगोई को तीन मार्च तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करते हुए कहा कि वह शुक्रवार को विषय की सुनवाई करेगी।
सुनवाई शुरू होने पर, एनआईए की ओर से शीर्ष न्यायालय में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने एजेंसी द्वारा दाखिल आरोपपत्र का हवाला दिया और कहा कि गोगोई पूर्वोत्तर राज्य में माओवादी गतिविधियों के एक सरगना हैं।
मेहता ने कहा कि गोगोई के खिलाफ 64 प्राथमिकियां दर्ज हैं। वहीं, गोगोई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का एक व्यापक आधार है।
अहमदी ने कहा, ‘‘गोगोई एक राजनीतिक नेता और एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं। वह एक खास राजनीतिक शासन के खिलाफ हैं, यही कारण है कि वे उन्हें जेल भेजना चाहते हैं।” पीठ ने कहा कि वह विषय की सुनवाई शुक्रवार को करेगी। (एजेंसी)