नई दिल्ली/बेंगलुरु. भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनंत कुमार हेगड़े (Anant Kumar Hegde) ने शनिवार को विवादित बयान दिया है। उनका कहना है कि बाबरी मस्जिद की तरह ही भटकल मस्जिद (कर्नाटक के भटकल शहर में स्थित मस्जिद) का टूटना तय है। यह अनंत कुमार हेगड़े का नहीं बल्कि हिंदू समाज का फैसला है। हेगड़े ने कांग्रेस पर हिंदू समाज को बांटने का आरोप लगाया और उसे हिन्दू और सनातन धर्म विरोधी बताया।
हेगड़े ने कहा, “बाबरी मस्जिद की तरह भटकल मस्जिद के विनाश की गारंटी है। ये अनंत कुमार हेगड़े का फैसला नहीं बल्कि हिंदू समाज का फैसला है। वे (कांग्रेस) सदियों से हिंदू समाज को बांटते रहे हैं। कांग्रेस हमारी विरोधी नहीं है। वे हिंदू विरोधी, सनातन धर्म विरोधी हैं।”
कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी नहीं
उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमारी प्रतिद्वंद्वी नहीं है, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हमारे प्रतिद्वंद्वी हैं। जो लोग अल्पसंख्यक वोटों के लिए बोली लगा रहे हैं वे हमारे विरोधी हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन का निमंत्रण नहीं मिला है। तब उन्होंने कहा कि वह नहीं जाएंगे। मैं कहना चाहता हूं कि वह आएं या न आएं, अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन होकर रहेगा।”
Karnataka | BJP MP Anantkumar Hegde says, “The destruction of Bhatkal Mosque is guaranteed like Babri Masjid. This is not the decision of Anantkumar Hegde, but the decision of Hindu society… They (Congress) have been dividing the Hindu society for centuries. Congress is not our… pic.twitter.com/DhmGhH1IYU
— ANI (@ANI) January 13, 2024
मेरे बयान को धमकी समझेंगे लोग
हेगड़े ने यह भी कहा कि कुछ लोग मेरे इस बयान को धमकी समझेंगे लेकिन इससे हिंदू समुदाय वह करने से नहीं रुकेगा जो सही है। उन्होंने कहा सिरसी में मस्जिद विजया विट्ठल मंदिर था। श्रीरंगपट्टनम में बड़ा मस्जिद मारुति मंदिर था। आप अभी भी वहां मारुति की मूर्ति देख सकते हैं। जब तक हम इन सभी अपमानों को दूर नहीं कर देते, हिंदू समुदाय शांत नहीं बैठेंगे। ऐसी कई हिंदू संरचनाओं को मस्जिद में बदल दिया गया है और हिंदू समुदाय उन सभी को वापस ले लेगा।
सिद्धारमैया का अनंत कुमार हेगड़े पर पलटवार
हेगड़े के बयान पर सिद्धारमैया की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, “यही उनकी संस्कृति है। जब अनंत कुमार हेगड़े केंद्रीय मंत्री थे तो उन्होंने कहा था कि सत्ता में आने पर हम संविधान बदल देंगे। क्या हम उनसे संस्कृति की उम्मीद कर सकते हैं? क्या उन्हें सभ्य कहा जा सकता है? कोई राज्य के मुख्यमंत्री का सम्मान करता है तो कोई नहीं। अगर वे राजनीतिक रूप से अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करेंगे तो इससे मेरी नहीं बल्कि उनकी गरिमा को नुकसान पहुंचेगा।”