नई दिल्ली: कर्नाटक सरकार ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सीबीआई से वापस ले लिया। जिसके बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) का दरवाजा खटखटाया है। सीबीआई के अदालत के जाने के बाद शिवकुमार ने कहा, “मैं उस सब के बारे में बाद में बोलूंगा।” उन्होंने कहा कि पार्टी अदालत में जवाब देगी।
क्या बोले डिप्टी सीएम शिवकुमार?
सीबीआई के उच्च न्यायालय का रुख करने पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा, “वे मुझे परेशान करना चाहते हैं। यहां तक कि बीजेपी नेताओं पर भी इतने सारे मामले हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुझे पता है कि इन सबके पीछे कौन है… लेकिन समय बदल जाएगा, मैं न्याय के लिए लड़ूंगा।”
#WATCH | Karnataka Deputy CM & Congress leader, DK Shivakumar says, "They want to harass me. Even on BJP leaders so many cases are there but no action has been taken. I know who is behind all this…But the clock will turn…I will fight for justice…." pic.twitter.com/aEl9Ck2C2q
— ANI (@ANI) January 5, 2024
न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित ने कहा, “मुझे सवालों की व्यापकता के कारण डर लग रहा है, इतने बड़े मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए मुझे लगता है कि खंडपीठ की आवश्यकता है।” इसके बाद न्यायाधीश ने आदेश दिया, “याचिकाकर्ताओं के सुविज्ञ वकील और राज्य के सुविज्ञ महाधिवक्ता को सुनने के बाद, मेरी सुविचारित राय है कि इसको माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उनकी पसंद की पीठ और (न्यायाधीशों के) संख्या बल पर विचार के लिए पेश किया जाना चाहिए।”
भाजपा नेता और विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और सीबीआई द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाएं शुक्रवार को एकल न्यायाधीश की पीठ के समक्ष आईं। यतनाल की याचिका पहले दायर की गई थी और अदालत ने उनकी याचिका की वैधता पर सवाल उठाया था और उन्हें आपराधिक कार्यवाही में प्रभावित पक्ष कैसे माना जा सकता है। यतनाल के वकील ने अदालत में कहा कि किसी भी नागरिक के पास निजी तौर पर सरकार के कैबिनेट फैसले को चुनौती देने का अधिकार है। उन्होंने का कि सरकार ने आपराधिक अभियोजन को रोक दिया है। अदालत ने कहा कि यह एक अनोखा मामला है।
अदालत ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पिछली सरकार द्वारा लिया गया निर्णय (मंजूरी देना) बाद में चुनी जाने वाली सरकार पर बाध्यकारी है।उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि चूंकि सीबीआई ने भी सहमति वापस लेने को चुनौती दी है, इसलिए यतनाल द्वारा दायर याचिका की वैधता पर भी विचार करना होगा।