- महिला मतदाताओं की संख्या में हुई वृद्धि
तारिक़ खान@नवभारत
मुंबई: देश का सबसे बड़ा पर्व ‘लोकसभा चुनाव’ की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। हर पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे कर रही है। महिलाएं बीजेपी का कोर और साइलेंट वोट बैंक मानी जाती है। कांग्रेस ने इसमें सेंधमारी करते हुए महिलाओं पर सबसे बड़ा दांव खेला है। चुनावों से पहले ही कांग्रेस ने महिलाओं के लिए ‘नारी न्याय गारंटी’ योजना लॉन्च कर पांच बड़े वादे किये हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण गारंटी सत्ता में आने के बाद गरीब महिलाओं के बैंक खातों में 1 लाख रुपये वार्षिक जमा करने, सरकारी नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण देना और आशा (आंगनबाड़ी और मिड-डे मील बनाने वाली महिलाओं) की मासिक सैलरी दोगुना करना हैं। अब देखना दिलचस्प है कि, क्या बीजेपी के मजबूत वोट बैंक में सेंधमारी का प्लान कांग्रेस का कामयाब होगा?
महिला मतदाता, भाग्य विधाता
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का मतदान एक फीसदी से ज्यादा रहा था। पिछले लोकसभा के चुनाव में कुल 67 फीसदी वोटिंग रही। बीजेपी को 35 फीसदी तो कांग्रेस को 20 फीसदी महिलाओं ने वोट किया था। इसलिए कांग्रेस अब इन वोटों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। महिलाओं को 2024 में अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस रोजगार और नारी गारंटी का पासा फेंका है।
कितनी है महिला मतदाता?
देश में पिछले चुनाव में 43.8 करोड़ महिला मतदाताएं थीं, जो अब बढ़कर 46.1 करोड़ से ज्यादा हो गई है। महिला मतदाताओं की भूमिका चुनावों में हमेशा खास रही है। पांच सालों में महिला मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इसी तरह से कुल मतदाताओं में 50 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं की उम्र 40 साल से कम की है।
खुद के पैरों पर खड़े होने का सुनहरा मौका
सुमा राऊत (वर्किंग वीमेन) ने कहा, भारत वास्तव में तभी सफल होगा जब महिलाओं को समाज में समान स्थान मिलेगा। महिलाओं के लिए अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने और अपने परिवार की आर्थिक मदद करने का सुनहरा मौका है। महिलाएं पहले से ही बड़ी जिम्मेदारियां उठा रही हैं। अगर यह सच है तो, महिलाओं को इसका फायदा उठाना चाहिए।
गरीबों के लिए ऑक्सीजन
ज़रीन शेख (गृहिणी) ने कहा, जिस तरह से महंगाई आसमान छू रही है। इससे परिवार के एक सदस्य का कमाना कम पड़ रहा है। राहुल गांधी की महिलाओं को सालाना एक लाख रुपए देने की गारंटी, गरीब के लिए ऑक्सीजन देने का काम करेगी।
एक मौका मिलना चाहिए
स्नेहा खामकर (बांद्रा) का कहना है कि इस तरह की पहल राजनेताओं द्वारा होगी तो गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। महिलाएं भी अपने पैरों पर खड़ी होंगी। हर कोई सिर्फ सपने दिखाता है, जबकि हकीकत कुछ और होती है। लेकिन ऐसे सराहनीय कदम उठाने वाले लीडर को मौका देना चाहिए।
नफरत की राजनीति में यह सकारात्मक पहल
सुनंदा थोरात (मानखुर्द निवासी) कहती हैं कि देश में पढ़े लिखे युवा नेताओं की जरुरत है, जो महिलाओं को आगे बढ़ाने और उन्हें बराबरी का मौका दें। इससे देश विकसित होगा क्योंकि यह नफरत की राजनीति में यह सकारात्मक पहल है।