नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को सऊदी अरब (Saudi Arabia) के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल-सऊद (Crown Prince Mohammed bin Salman bin Abdulaziz Al-Saud) से कई मुद्दों पर व्यापक बातचीत की। इस बातचीत के दौरान द्विपक्षीय व्यापार और रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
#WATCH | Crown Prince and Prime Minister of the Kingdom of Saudi Arabia Prince Mohammed bin Salman bin Abdulaziz Al Saud and Prime Minister Narendra Modi hold delegation-level talks at Hyderabad House in Delhi. pic.twitter.com/EE7l3z7G1t
— ANI (@ANI) September 11, 2023
जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के समापन के बाद बिन सलमान इस समय भारत की राजकीय यात्रा पर हैं। वार्ता से पहले सऊदी अरब के युवराज का राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में औपचारिक स्वागत किया गया। औपचारिक स्वागत के बाद बिन सलमान ने संवाददाताओं से कहा कि मैं भारत आकर बहुत खुश हूं। मैं जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत को बधाई देना चाहता हूं। सऊदी नेता ने कहा कि शिखर सम्मेलन में की गई घोषणाओं से दुनिया को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए मिलकर काम करेंगे।
#WATCH | Crown Prince and Prime Minister of the Kingdom of Saudi Arabia Prince Mohammed bin Salman bin Abdulaziz Al Saud met Prime Minister Narendra Modi at Hyderabad House in Delhi. pic.twitter.com/QEiLHbIgQY
— ANI (@ANI) September 11, 2023
सऊदी अरब (Saudi Arabia) पश्चिम एशिया (West Asia) में भारत के प्रमुख रणनीतिक साझेदारों में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। दोनों पक्ष अपनी सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
#WATCH सऊदी अरब साम्राज्य के प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक स्वागत समारोह में शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों से भी मुलाकात की। pic.twitter.com/OQm6HlKm1L
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 11, 2023
तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे (M.M. Naravane) ने दिसंबर 2020 में सऊदी अरब का दौरा किया था, जो 13 लाख से अधिक सैनिकों की क्षमता वाली मजबूत सेना के प्रमुख द्वारा महत्वपूर्ण खाड़ी देश की पहली यात्रा थी। तब से दोनों पक्षों के उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों ने एक-दूसरे के देश के कई दौरे किए हैं।