कोलकाता/नयी दिल्ली. जहाँ एक तरफ पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को नंदीग्राम (Nandigram) में लगी कथित चोट से समूचे प्रदेश में राजनीतिक तांडव व्याप्त है। वहीं अब इस दुर्घटना के मामले में निर्वाचन आयोग (Election Commission) राज्य के मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय की रिपोर्ट से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं है। अब आयोग ने मुख्य सचिव से एक और विस्तृत व स्पष्ट रिपोर्ट की मांग राखी है।
अब यह नयी रिपोर्ट आज शनिवार शाम पांच बजे तक सौंपनी होगी। जिसके चलते अब इन दोनों ऑबजर्वर्स भी शनिवार शाम तक ही रिपोर्ट देनी होगी। उन्हें भी आयोग ने आज यानी शनिवार शाम तक ही मोहलत दी है। अब विशेष पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दुबे और विशेष पर्यवेक्षक अजय नायक इस घटना के साथ अन्य जरुरी मामलों से संबंधित यात्रा पूरी करने के बाद अब रिपोर्ट सौंपेंगे।
क्या है मुख्य सचिव की रिपोर्ट में:
गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव आयोग को बीते शुक्रवार को मुख्य सचिव ने तय समय में रिपोर्ट तो सौंप दी, लेकिन उसमें कई जानकारी पूरी तरह से साफ़ नहीं है और कुछ तो संशय बढ़ाने वाली भी हैं। इस रिपोर्ट में तथ्यों का तो जिक्र है, लेकिन घटना के कारणों का स्पष्ट ब्योरा बिलकुल नहीं दिया गया है। वहीँ इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट नहीं होता कि आखिर घटना की असली वजह क्या रही है। जहाँ इस रिपोर्ट से यह पता नहीं चल पा रहा है कि यह घटना कहां और कैसे हुई है? वहीं मुख्य सचिव ने तो भीड़ का दबाव, तंग सड़क, सड़क के एकदम किनारे लोहे का खंभा, दरवाजे का झटके से बंद होना, ममता बनर्जी के बाहर निकले पैर का घायल होना जैसी तथ्यात्मक बातों को लेकर अपनी रिपोर्ट में लिखी है, लेकिन यह रिपोर्ट अब किसी निर्णय तक पहुंचने में चुनाव आयोग की मदद नहीं करती है।
क्यों जांच से संतुष्ट नहीं आयोग!
अगर इस रिपोर्ट की बात करें तो सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव की रिपोर्ट से यह भी पता नहीं चल सकता है कि नंदीग्राम में CM ममता बनर्जी के पैर में लगी चोट हादसा था या फिर कोई साजिशन हमला। वहीं पुलिस रिपोर्ट के आधार पर मुख्य सचिव ने निर्वाचन आयोग को दी रिपोर्ट में प्रत्यक्षदर्शियों के मत भी पूरी तरह से अलग-अलग बताए हैं। जहाँ अधिकतर प्रत्यक्षदर्शी किसी न किसी पार्टी से जुड़े होने के नाते पार्टी लाइन पर ही अपने बयान दर्ज करा रहे हैं। वहीं इस घटना पर प्रत्यक्षदर्शियों का बयान पूरी तरह से निष्पक्ष नहीं लग रहा है। इसके साथ ही जांच रिपोर्ट के अनुसार मौके पर सिर्फ एक CCTV था। एक ज्वैलरी शॉप के बाहर भी CCTV लगा था, लेकिन वो भी ठीक से काम नहीं कर रहा था। पुलिस भी घटना के समय चारों तरफ मौजूद थी, लेकिन उसे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम या फिर उनके रुकने और वे किन लोगों से मिलेंगी, इसकी कोई भी जानकारी नहीं थी।यह सब चीजें थोड़ी संशय पैदा करती हैं।
बताया जा रहा है कि जिला पुलिस को CM ममता बनर्जी की सुरक्षा की तरफ से जो जानकारी दी गई थी उसके मुताबिक इन लोगों ने मुख्यमंत्री के तय रूट को सैनिटाइज तो किया गया था लेकिन नाकेबंदी नहीं की जा सकती थी क्योंकि मुख्यमंत्री कहां-कहां रुकेंगी इसकी जानकारी तो किसी को भी नहीं थी। वहीं घटनास्थल पर भारी भीड़ की मौजूदगी थी। लेकिन भीड़ मुख्यमंत्री के वाहन के बिल्कुल नजदीक है ये तो मोबाइल वीडियो से भी पता चल रहा है लेकिन कोई ऐसा वीडियो नहीं है जिससे यह पता चले कि कार का दरवाजा लोहे के खंभे से टकराया था या नहीं। इस बारे में भी कोई भी स्पष्ट सबूत नहीं हैं कि कार के दरवाजे को धक्का दिया गया। लिहाजा आगे और विस्तृत जांच की जरूरत है।
इस प्रकार देखा जाए तो CM ममता बनर्जी को लगी चोट ने एक तरफ तो जहाँ चुनाव आयोग को सकते में डाल रखा है। वहीं अब मुख्य सचिव की रिपोर्ट के चलते अब यह भी साफ़ नहीं हो पा रहा है कि चोट लगी कैसे? खैर मुख्य सचिव और दोनों ऑबजर्वर्स के पास शनिवार शाम तक का समय है नयी रिपोर्ट देने का।