सादगी से भरा फिरोज़ गांधी का जीवन

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    प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और लोकसभा के प्रभावशाली सदस्य फिरोज़ गांधी (Feroze Gandhis Birthday) की आज यानि 12 सितंबर को 109 वीं जयंती है। वह भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति थे। अगस्त, 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में फिरोज़ गांधी कुछ समय तक भूमिगत रहे, उसके बाद वह गिरफ्तार कर लिए गए थे। रिहा होने के बाद 1946 में उन्होंने लखनऊ के दैनिक पत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ के प्रबंध निर्देशक का पद संभाला। तो आइए इस मौके पर जानते हैं उनके बारे में…

    जीवन परिचय-

    स्वतंत्रता सेनानी फिरोज़ गांधी का जन्म 12 सितंबर, 1912 को मुंबई एक पारसी परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जहांगीर और माता का नाम रतिमाई था। फिरोज़ के पिता जहांगीर किलिक निक्सन में एक इंजीनियर थे, जिन्हें बाद में वारंट इंजीनियर के रूप में पदोन्नत किया गया था। फिरोज़ उनके पांच बच्चों में सबसे छोटे थे, उनके दो भाई दोराब और फरीदुन जहांगीर, और दो बहनें, तेहमिना करशश और आलू दस्तुर थी। फिरोज़ का परिवार मूल रूप से दक्षिण गुजरात के भरूच का निवासी है, जहां उनका पैतृक गृह अभी भी कोटपारीवाड़ में उपस्थित है। 1920 के दशक की शुरुआत में अपने पिता की मृत्यु के बाद, फिरोज़ अपनी मां के साथ इलाहाबाद में उनकी अविवाहित मौसी, शिरिन कमिसारीट के पास रहने चले गए, जो शहर के लेडी डफरीन अस्पताल में एक सर्जन थी। इलाहबाद में ही फिरोज़ ने विद्या मंदिर हाई स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, और फिर ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इलाहाबाद में उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र था. युवक फिरोज़ गांधी इसके प्रभाव में आए और नेहरू परिवार से भी उनका संपर्क हुआ। उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार में भाग लिया और 1930-1932 के आंदोलन में जेल की सजा काटी। फिरोज़ गांधी 1935 में आगे के अध्ययन के लिए लंदन गए और उन्होंने ‘स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स’ से अंतर्राष्ट्रीय कानून में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

    Feroze Gandhi, Indira Gandhi

    राजनीति सफर-

    अगस्त, 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में फिरोज़ गांधी कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद गिरफ्तार कर लिए गए। रिहा होने के बाद 1946 में उन्होंने लखनऊ के दैनिक पत्र ‘नेशनल हेराल्ड’ के प्रबन्ध निर्देशक का पद संभाला। साल 1952 के प्रथम आम चुनाव में वे लोकसभा के सदस्य चुने गए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ छोड़ दिया। कुछ साल वे और इंदिरा, नेहरू के साथ रहे। इंदिरा का अधिकांश समय उनके पिता की देख-रेख में बीता था। 1956 में फिरोज़ गांधी ने प्रधानमंत्री निवास में रहना छोड़ दिया और वे सांसद के साधारण मकान में अकेले ही रहने लगे। 

    1975-77 Emergency Excesses & Sanjay Gandhi's role - Guruprasad's Portal

    इंदिरा गांधी और फिरोज़ गांधी की शादी-

    फिरोज़ से इंदिरा की शादी 1942 में हुई. लेकिन जवाहर लाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे। हालांकि महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद दोनों की शादी इलाहाबाद में हुई। फिरोज़ को बापू ने अपना सरनेम भी दिया था। दोनों की लवस्टोरी बहुत चर्चा में रही थी। कहते हैं कि दोनों की मुलाकात 1930 में हुई थी। आज़ादी की लड़ाई में इंदिरा की मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देने के दौरान बेहोश हो गई थीं। उस समय फिरोज़ गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की थी। कमला नेहरू का हालचाल जानने के लिए फिरोज़ अक्सर उनके घर जाते थे। इसी दौरान उनके और इंदिरा गांधी के बीच नज़दीकियां बढ़ीं। हालांकि शादी के बाद दोनों के बीच काफी लड़ाइयां भी हुई।