क्या सच में ‘फ़टेहाल’ पाकिस्तान और ‘दिवालिया’ श्रीलंका से भी अधिक भूखे हैं हम? रिपोर्ट पर उठ रहे प्रश्न….

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नई दिल्ली: एक चौंकाने वाली खबर के अनुसार ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2023 की लिस्ट में दुनियाभर के 125 बड़े देशों में हमारे भारत (India) को 111वां स्थान मिला है। वहीं बीते गुरुवार को जारी हुई रिपोर्ट में भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति बेहतर है। आश्चर्य की बात यह है कि हंगर इंडेक्स की लिस्ट में पाकिस्तान की रैंकिंग 102, बांग्लादेश की 81, नेपाल की 69 और श्रीलंका की 60 है। 

भारत की रैंकिग में लगातार तीसरे साल बड़ी गिरावट
अब देखा जाए तो भारत की रैंकिग में लगातार तीसरे साल गिरावट दर्ज हुई है। वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 28.7 स्कोर के साथ भारत में भुखमरी की स्थिति को अब गंभीर दिखाया गया है। हालांकि इससे पहले साल 2022 में 121 देशों की लिस्ट में भारत 107 नंबर पर था। तो वहीं साल 2021 में भारत को 101वां रैंक पर था​। इतना ही नहीं अब तो भारत में सबसे ज्यादा Child Wasting Rate या बाल कुपोषण की स्थिति भी देखी जा रही है और ये फिलहाल 18.7%है।

क्या कहती है रिपोर्ट
जानकारी दें कि, साल 2023 की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत में बच्चों की कमजोरी की दर 18.7% दुनिया में सबसे ज्यादा है। दरअसल यह अति कुपोषण को दर्शाती है। वहीं, भारत में अल्पपोषण की दर 16.6% और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.1% है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 15 से 24 वर्ष उम्र की महिलाओं में एनीमिया 58.1% है।

क्या कहती है भारत सरकार 
हालांकि भारत सरकार ने हमेशा की तरह इस रिपोर्ट को गलत और भ्रामक बताया है। इस बाबत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स भारत की वास्तविक स्थिति को बिल्कुल भी नहीं दर्शाता है। भारत का आरोप है कि यह देश की छवि खराब करने का एक कुत्सित प्रयास है। मंत्रालय ने इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट को दो सालों यानी 2022 और 2021 को इसे सिरे से नकार दिया था। 

रिपोर्ट क्यों है गलत 
केंद्र की मानें तो, इस इंडेक्स के 4 में से 3 इंडिकेटर केवल बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े हैं और यह पूरी आबादी का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वहीं चौथा और सबसे महत्वपूर्ण इंडिकेटर ओपिनियन पोल पर आधारित है। इस रिपोर्ट में, “भूख” चार घटक संकेतकों ( अल्पपोषण, बाल स्टंटिंग, बाल वेस्टिंग और बाल मृत्यु दर ) पर आधारित सूचकांक को संदर्भित किया जाता है। यह भी कहा गया कि भारत को विश्व पटल पर ऐसे देश के रूप में दिखाया जा रहा है जो अपनी आबादी के लिए फूड सिक्योरिटी और पोषण की जरूरतों को भी ठीक से पूरा नहीं कर पा रहा है। भारत सरकार यह भी कहती है कि गलत जानकारी देना ग्लोबल हंगर इंडेक्स का हॉलमार्क बनता जा रहा है। 

क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स 
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) दरअसल ग्लोबल, रीजनल और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक महत्वपूर्ण टूल है। जानकारी दें कि इस लिस्ट को हर साल कंसर्न वर्ल्डवाइड और वर्ल्ड हंगर हेल्प (जर्मनी में Welthungerhilfe) नामक एक यूरोपीयन NGO तैयार करती है। यह संस्था दुनियाभर के अलग-अलग देशों में 4 पैमानों का आंकलन करने के बाद इस इंडेक्स लिस्ट को तैयार करती है।

कब हुई शुरुआत 
बता दें कि इस रैंकिंग की शुरुआत साल 2000 से हुई। जिसका मुख्य उद्देश्य 2030 तक दुनियाभर में भुखमरी की समस्या को खत्म करना था। वहीं इसमें साल 2000 में भारत का GHI स्कोर 38.8 था। लेकिन फिर साल 2007 आते-आते यह स्कोर घटकर 36.3 हो गया। इसके बाद तो 2014 में ये स्कोर खतरनाक स्तर से नीचे आया। 2014 में यह स्कोर 28.2 था। तब भारत गंभीर श्रेणी के देशों में शामिल था। जो आज तक गंभीर स्तर पर बरकरार है। हालांकि इस बीच भारत कोरोना से महायुद्ध भी लड़ चूका और हम चांद पर भी जा पहुंचे।

क्या सच में ऐसा है संभव 
देखा जाए तो अब हैरान करने वाली बात तो यह भी है कि वो पाकिस्तान जो फिलहाल खुद फटे हाल है साथ ही श्रीलंका जो कि ‘दिवालिया’ हो चुका है और वहीं वो नेपाल जिसकी हर बार भारत ही मदद करता आया है, यह सभी देश इस सूची में हमसे आगे हैं। इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्कोर 28.7% है जो कि हमारे देश को ऐसी कैटेगरी में लाता है जहां भूख और भुखमरी की स्थिति बेहद गंभीर है। ऐसे में अब अगर पाकिस्तान, नेपाल की स्थिति को भारत से बेहतर बताया जाएगा, तो उस पर बवाल तो होना निश्चित है ही। 

श्रीलंका की चिंताजनक हालत

वहीं वर्तमान परिदृश्य में यदि देखा जाए तो भारत के हालात काफी बेहतर हैं। हम ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। वहीं वैश्विक मंदी के बीच भी भारत ही वो इकलौता देश है जो अच्छी स्थिति में स्वयं को पाता है। दुनिया भारत की मौजूदा परिस्थिति की प्रशंसा कर रही हैं।  यह भी बता दें कि साल 2009-10 तक भारत अपने यहां की स्थिति का पता लगाने के लिए स्वयं भी भूख से संबंधित कई तरह के सर्वे करता आ रहा था। वहीं इस प्रकार के सर्वे NSSO द्वारा कराए जाते थे, जिसको राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर समान मान्यता प्राप्त है।

जमीनी हकीकत से परे है यह रिपोर्ट
अब इसमें मतैक्य संभव है किग्लोबल हंगर इंडेक्स की यह रिपोर्ट जमीनी हकीकत से काफी अलग नजर आती है। दरअसल भारत जिसने कोरोना कि भयंकर महामारी के दौरान भी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से यह सुनिश्चित रखा कि देश में कोई भी भूखा न सोए। ऐसे में इस देश को पाकिस्तान, श्रीलंका से निचले स्तर पर बताना ही हास्यापद  है।

‘अनाज’ के लिए मोहताज पाकिस्तान

वहीं पाकिस्तान जो बाढ़ आने पर आज भी हमसे अनाज मांगता हैं। वहीं नेपाल जिसकी किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान भारत सबसे पहले सहायता को दौड़ता है। वहीं इस ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट कि मानें तो हमारी हालत उनसे भी खराब है। अब यह हम पर निर्भर है कि हमें इस तरह की रिपोर्ट को गंभीरता से लेने की भी आवश्यकता है भी या नहीं। लेकिन सच तो यह है कि हमारे यहां की स्थिति का आंकलन सही तरीके से होता नहीं दिख रहा है।