नई दिल्ली. जहां बीते कुछ महीनों से कोरोना मामलों की कम संख्या के साथ अब लोग राहत की सांस ले ही रहे थे, लेकिन अब उसी तरह H3N2 वायरस (H3N2 Virus) के कारण संक्रमण के उभरने से फिलहाल देश में चिंता की एक नई लहर दौड़ गई है। वहीं फिलहाल राजधानी दिल्ली समेत देश के कई अन्य राज्यों में इन दिनों इन्फ्लुएंजा A के H3N2 वायरस के साथ-साथ सांस से संबंधित कई अन्य वायरल बीमारियों का संक्रमण तेजी से फैला हुआ है।
H3N2 इन्फ्लुएंजा का बढ़ा खतरा
इधर मामले पर डॉक्टरों के मुताबिक, एडिनो वायरस, राइनोवायरस व रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) के संक्रमण से भी लोग बीमार हो रहे हैं और बच्चे भी अब इसकी चपेट में आ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर बच्चों में हल्की बीमारी ही देखी जा रही है।
मामले पर LNJP अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने बताया कि, H3N2 इन्फ्लुएंजा का खतरा उन लोगों में ज्यादा है जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं, बच्चे या बुजुर्ग हैं। इसके लिए हमने लोकनायक अस्पताल में अलग से 20 बेड का आइसोलेशन वॉर्ड बनाया है और 15 डॉक्टरों की टीम गठित की है
Delhi | The risk of H3N2 Influenza is high in people already suffering from any disease, children or the elderly. For this, we’ve made a separate 20-bed isolation ward in Loknayak Hospital & constituted a team of 15 doctors: Suresh Kumar, Medical Director, LNJP Hospital (14.03) pic.twitter.com/btrQlXrYeQ
— ANI (@ANI) March 15, 2023
क्या हैं लक्षण
पता हो कि, H3N2 वायरस या इन्फ्लूएंजा ए वायरस के कारण होने वाले संक्रमण में तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, थकान और सूखी खांसी होती है। वहीं इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि लक्षण शरीर में 3 सप्ताह तक बने रहते हैं। देश भर में फैल रहे फ्लू वायरस से अब लोग परेशान है।
बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा खतरा
गौरतलब है कि, H3N2 वायरस का सबसे ज्यादा खतरा अब बच्चों और बुजुर्गों को है क्योंकि यह व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर सीधे हमला करता है। खासकर, अस्थमा, हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा और कमजोर प्रणाली वाले बच्चों या बुजुर्गों को H3N2 वायरस से ज्यादा खतरा है। वहीं इस घातक वायरस से गर्भवती महिलाओं को भी ज्यादा खतरा होता है। जहां कोरोना के चलते 2 साल से बच्चों में इन्फ्लूएंजा का कोई खतरा नहीं था। लेकिन वहीं अब H3N2 वायरस का खतरा ज्यादा बढ़ गया है।
ऐसे होगा बचाव
फिलहाल मामले पर डॉक्टरों और चिकित्सीय जानकारों ने इससे बचाव के लिए मास्क पहनने की वकालत की है। वहीं अब नियमित अंतराल पर हाथ धोते रहना चाहिए। इसके साथ ही निमोनिया जैसे लक्षण हों तो बच्चों को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।