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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी

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विजयवाड़ा : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) ने आज लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के पहले अपना एक और सियासी दाव चल दिया है। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में शुक्रवार को दलितों के मसीहा कहे जाने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के दौरान उन्होंने यह ऐलान करने वाले हैं कि राज्य में हर हालत में 15 फरवरी तक जातिगत जनगणना का काम पूरा कर लिया जाएगा। जगन 404 करोड़ की लागत से बनी अंबेडकर की इस प्रतिमा के अनावरण के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में जातिगत जनगणना करने की बात का ऐलान करके ओबीसी और दलित को अपने साथ लाने की कोशिश शुरू करने वाले हैं।

जगन मोहन रेड्डी ने सामाजिक न्याय के एजेंडे के तहत आंध्र प्रदेश में 2024 के चुनाव का बिगुल फूंकने का प्लान बना लिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने इसके जरिए अन्य विरोधी दलों पर बढ़त बनाने की कोशिश की है। अंबेडकर की प्रतिमा और 15 फरवरी तक जातिगत जनगणना पूरा कराने के फरमान से ओबीसी और दलित के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश है।

कांग्रेस पार्टी द्वारा उनकी सगी बहन वाईएस शर्मिला को आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनको चुनौती देने की कोशिश की गई है। साथ ही साथ 2019 में सत्ता से बेदखल चंद्रबाबू नायडू भी दोबारा सत्ता में वापसी के लिए जोरदार तरीके से जोर लगा रहे हैं। लेकिन इन सबसे अलग जगन मोहन रेड्डी ने दलित और ओबीसी समुदाय को साधने के लिए अपना एक नया चुनावी प्लान आज से लागू कर देगें। जगन मोहन रेड्डी ने अंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करने के साथ ही साथ सामाजिक न्याय की एजेंट के तहत 15 फरवरी तक जातिगत जनगणना पूरी करने का निर्देश देने वाले है।

आपको याद होगा कि पिछले साल 11 अप्रैल को जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने जातिगत जनगणना करने का प्रस्ताव विधानसभा से पास कर कर केंद्र की मोदी सरकार को भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद से जगनमोहन रेड्डी सरकार ने नवंबर 2023 में कैबिनेट में मंजूरी देकर जातिकर जनगणना करने की दिशा में अपना एक मजबूत कदम बढ़ाया था। जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने 9 दिसंबर 2023 को जातिगत जनगणना का काम शुरू कर दिया था। उसी समय सरकार की ओर से कहा गया था कि लोगों के जीवन स्तर को बदलने के लिए जातिगत जनगणना एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके बाद से ही घर-घर जाकर सरकारी कर्मचारी जनगणना का काम कर रहे हैं।

विधानसभा और लोकसभा चुनाव की आहट को देखते हुए जगनमोहन रेड्डी ने इस काम को 15 फरवरी तक हर हाल में पूरा करने की तैयारी करने को कह रखा है, लेकिन आज इसका ऐलान मंच से कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि उनकी नजर राज्य के 139 पिछड़े वर्गों की जानकारी एकत्रित करने की है। साथ ही साथ उनकी सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और रोजगार से संबंधित जानकारी विकसित करके सरकार उसी के हिसाब से अपनी योजनाएं और कार्यक्रम निर्धारित करना चाह रहे हैं। 

ऐसा कहा जा रहा है कि आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी अपने इस कदम से अन्य पिछड़ा वर्ग में अपनी पैठ को और मजबूत बनाना चाहते हैं। आमतौर पर ओबीसी वोटर तेलुगू देशम पार्टी से जुड़ा माना जाता है, लेकिन वह अपने कई योजनाओं और नेताओं के जरिए उसमें सेंध लगाने में सफल रहे हैं। जगनमोहन रेड्डी ने पांच उपमुख्यमंत्रियों में से भी बी मुत्याला नायडू को ओबीसी कोटे से उपमुख्यमंत्री बनाया है। ये ओबीसी समुदाय को पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं।

आपको याद होगा कि आंध्र प्रदेश में ओबीसी आबादी करीब 54 फीसदी के आसपास है, जो 139 उप-जातियों में बंटी हूयी है। राज्य में ओबीसी जातियों को 29 फीसदी आरक्षण दिया जाता है, लेकिन उनको इसका लाभ 5 कैटेगरी में मिलता है।  इसके अलावा अनुसूचित जाति (एससी) को 15 फीसदी तो अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 6 फीसदी आरक्षण मिल रहा है।

इसके साथ ही राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में ओबीसी पांच समूहों में वर्गीकृत है- ए कैटेगरी में (7 फीसदी), बी कैटेगरी में (10 फीसदी), सी कैटेगरी में (1 फीसदी), डी कैटेगरी में (7 फीसदी) और ई कैटेगरी में (4 फीसदी)। इस तरह से कुल 60 फीसदी आरक्षण अभी आंध्र प्रदेश में मिल रहा है।

ऐसे हालत में आंध्र प्रदेश के ओबीसी समुदाय के द्वारा जाति जनगणना कराकर आरक्षण को बढ़ाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। ऐसा लग रहा था कि चंद्रबाबू नायडु व कांग्रेस इस मुद्दे को हवा देगी, उसके पहले जगन मोहन रेड्डी ने अपना चुनावी दांव चल दिया है। 

आपको बता दें कि इसके पीछे एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति है। जगन बैकडोर से बीजेपी की मोदी सरकार के साथ दिखते हैं, लेकिन भाजपा जातिगत जनगणना के खिलाफ रही है। जगन नहीं चाहते हैं कि भाजपा की तरह अन्य दल उनको भी इस लपेटे में ले लें। इसलिए वह अपना एजेंडा साफ कर दिया है। हालांकि विपक्ष इसके जरिए भाजपा को OBC विरोधी साबित करना चाहता है।  कांग्रेस सहित अन्य दल जातिगत जनगणना के मुद्दे पर गोलबंदी करके उसके हिंदुत्व के एजेंडे में सेंध लगाना चाह रहे हैं।