कल्पना चावला भारत की पहली महिला जिसने 2 बार की अंतरिक्ष यात्रा, जानें कैसे बनी अंतरिक्ष की ‘वंडर वुमन’, रोचक है कहानी

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नई दिल्ली: इतिहास के कुछ ऐसे दिन होते है जो हमें आज भी गौरवान्वित महसूस कराते है। आज वही दिन है क्योंकि आज ही के दिन भारत देश में कल्पना चावला का जन्म हुआ था।  जी हां आपको बता दें कि आज पहिली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का 61वां जन्मदिन है।सबको गर्व महसूस कराने वाली भारत की इस महान बेटी का जन्म आज ही के दिन 17 मार्च 1962 को हुआ था। कल्पना चावला ने पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है। आइए आज उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके बारे में कुछ अनमोल और रोचक बातों के जरिए उन्हें याद करते है… 

स्पेस में बिताएं 360 घंटे 

जैसा कि पूरी दुनिया जानती है अंतरिक्ष यात्री बनकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयां नापने वाली कल्पना चावला ने अपनी उपलब्धियों से विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई। कल्पना चावला 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। इस उड़ान में उन्होंने 1.04 करोड़ मील सफर तय किया और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं की। वहीं, उन्होंने 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। 

ऐसे की पढ़ाई 

आपको बता दें कि कल्पना चावला ने 1982 में चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद कल्पना चावला अमेरिका चली गईं और 1982 में टेक्सास यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीजी कोर्स के लिए एडमिशन लिया।1984 में उन्होंने यह कोर्स भी पूरा कर लिया।

अमेस रिसर्च सेंटर में काम   

कल्पना चावला ने 1986 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दूसरा पीजी कोर्स भी किया और उसके बाद कोलराडो यूनिवर्सिटी से 1988 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग सब्जेक्ट के साथ ही पीएचडी भी पूरा कर लिया। कल्पना चावला ने 1988 में नासा अमेस रिसर्च सेंटर (NASA Ames Research Centre) में काम करना शुरू किया और वर्टिकल / शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग कॉन्सेप्ट पर कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स (CFD) रिसर्च किया।

कलाओं में भी अव्वल 

शायद आपको इस बात की जानकारी न हों लेकिन आपको बता दें कि कल्पना चावला एक एस्ट्रोनॉट होने के साथ ही बहुत ही क्रिएटिव भी थीं। जी हां उन्हें कविता, नृत्य, साइकिल चलाना और दौड़ना भी पसंद था। आज भी उनके अद्वितीय कार्य के लिए उन्हें याद किया जाता है।