Gautam Navlakha and Supreme Court

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंद रखने से एक “गलत मिसाल” कायम होगी। इसके साथ ही न्यायालय ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को उनकी मौजूदा चिकित्सा स्थिति और सुनवाई के चरण से अवगत कराने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ ने एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। नवलखा नवंबर 2022 से मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं।

पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया हमें आपत्ति है, लेकिन एक लंबा आदेश पारित किया गया है। मामले के गुण-दोष पर गौर किये बिना, यह गलत मिसाल कायम कर सकता है… एक हलफनामा दाखिल करें। इसमें नवलखा की वर्तमान चिकित्सा स्थिति और सुनवाई के चरण का विवरण शामिल किया जाना चाहिए।”

सुनवाई शुरू होने पर नवलखा की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल में आवास बदलने के अनुरोध वाली कार्यकर्ता की याचिका पर एनआईए को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था, लेकिन वह अभी तक जवाब नहीं दे पाई है। नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने पीठ से कहा कि बंबई उच्च न्यायालय में कार्यकर्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई होने वाली है, उन्होंने समय दिये जाने का अनुरोध किया।

राजू ने पीठ से कहा कि नवलखा को नजरबंद करने का आदेश सामान्य आदेश नहीं और यह संभवत: अपनी तरह का पहला आदेश है। उन्होंने कहा कि उनकी बीमारी के आधार पर नजरबंदी का आदेश दिया गया। उन्होंने कहा कि एक महिला उनके साथ रहेगी, लेकिन वह ज्यादातर समय नहीं रह रही है। एसजी ने कहा कि नवलखा पर राज्य सरकार का पैसा बकाया है और उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि वह उन्हें सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने के खर्च के मद्देनजर कम से कम 20 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दें। 

रामकृष्णन ने कहा कि एनआईए की अपनी मेडिकल जांच भी नवलखा की बीमारी की पुष्टि करती है। पिछले साल 10 नवंबर को उनकी नजरबंदी का आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने नवलखा को निर्देश दिया था कि वह उन्हें प्रभावी ढंग से नजरबंद करने के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती के लिए राज्य द्वारा वहन किए जाने वाले खर्च के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करें।  उच्चतम न्यायालय ने 10 नवंबर, 2022 को नवलखा के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया था।

इससे पहले वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे। यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण दिए जाने से संबंधित है। पुलिस का आरोप है कि भाषणों के कारण अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। (एजेंसी)