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    नई दिल्ली: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक ऐसे व्यक्तित्व है जिन्हे कभी भी भुला नहीं जा सकता। इनका योगदान न केवल देश के लिए बल्कि पुरे विश्व के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हम सब जानते है कि भारत के पहले उपराष्ट्रपति और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर भारत राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाता है, जिनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को हुआ था। यह दिन उनके विद्वान व दार्शनिक योगदान और उपलब्धियों के लिए एक श्रद्धांजलि है।

    आपको बता दें कि अपने देश में सबसे पहला शिक्षक दिवस 1962 में डॉ राधाकृष्णन के 77वें जन्मदिन पर मनाया गया था। एक गरीब तेलुगु ब्राह्मण परिवार में जन्मे, उन्होंने छात्रवृत्ति के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी की। वह सभी के लिए शिक्षा में एक सच्चे आस्तिक थे और उनके सभी योगदानों के बावजूद, वे जीवन भर शिक्षक बने रहे। उनके कार्यों का जितना गुणगान किया जाए वह काम ही है। आज आइए जानते है उनके बारें में कुछ खास बातें..

    • दरअसल डॉ राधाकृष्णन के कुछ छात्र उनके 77वें जन्मदिन पर कुछ खास करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने जवाब दिया कि इस दिन को सभी शिक्षकों और समाज में उनके योगदान को याद करने के लिए शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।
    •  उनके पास फिलॉसफी में मास्टर डिग्री थी और उन्होंने द फिलॉसफी ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर, रेन ऑफ रिलिजन इन कंटेम्पररी फिलॉसफी, द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ, एन आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ, कल्कि या फ्यूचर ऑफ सिविलाइजेशन, द रिलिजन वी नीड, गौतम बुद्ध, भारत और चीन जैसी कई अन्य जैसी किताबें लिखीं।
    • उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।4, उन्होंने 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति और 1952 से 1962 तक भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
    • उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ाया। उन्होंने 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति और 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति के रूप में भी कार्य किया।