One Nation One Election Committee meeting
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नई दिल्ली: ऐसा समझा जाता है कि विधि आयोग (Law Commission) ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति के समक्ष एक ‘रोडमैप’ का सुझाव दिया है, जिसमें देश में एक साथ चुनाव कराने (One Nation One Election) के लिए संविधान में आवश्यक बदलाव शामिल हैं। यद्यपि कानून मंत्रालय ने विधि आयोग से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए कहा था, लेकिन कोविंद समिति को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर लोकसभा, विधानसभा और पंचायत एवं नगर निकाय चुनाव की संभावना तलाशने को भी गया है।

सूत्रों ने कहा कि एक साथ चुनाव पर विधि आयोग की रिपोर्ट को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ और चीजें करने की जरूरत है।” यह इस बात का संकेतक है कि उच्चस्तरीय समिति विधि आयोग को फिर से आमंत्रित करेगी।आ धिकारिक बयान के अनुसार, उच्चस्तरीय समिति ने लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी (कांग्रेस) के नेता अधीर रंजन चौधरी के समिति की सदस्यता से इस्तीफे का ‘संज्ञान’ लिया। जिस दिन समिति गठित की गयी थी, उसी दिन चौधरी ने इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने समिति के एक सदस्य एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे अपने पत्र में कहा था, “मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसकी संदर्भ शर्तें इसके निष्कर्षों की गारंटी के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा न हो।” बयान के अनुसार, विधि आयोग ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर कोविंद समिति के समक्ष अपने सुझाव रखे। समिति ने आयोग को यह जानने के लिए आमंत्रित किया था कि देश में एक साथ चुनाव कैसे संभव है।

सूत्रों ने कहा कि इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि विधि आयोग को फिर से कोविंद समिति की ओर से आमंत्रित किया जायेगा। उच्चस्तरीय समिति ने हाल में अपनी पहली बैठक में राजनीतिक दलों के विचार जानने का फैसला किया था। समिति ने अब इन दलों को देश में एक साथ दीर्घकालिक चुनाव कराने पर उनके विचार जानने के लिए पत्र लिखा है।

सूत्रों ने पत्र का हवाला देते हुए कहा है कि राजनीतिक दलों को प्रेषित एक संदेश में ‘‘परस्पर सहमत तिथि” पर बातचीत करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को अगले तीन महीनों में अपने विचार लिखित तौर पर भेजने का विकल्प भी दिया गया है। बयान में कहा गया है कि छह राष्ट्रीय दलों, 33 राज्य दलों और सात पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को पत्र भेजकर ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर उनके सुझाव मांगे गए हैं। विधि आयोग कार्यकाल को बढ़ाकर या घटाकर सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है, ताकि ये चुनाव 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ ही कराए जा सकें।

सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक आम मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार कर रहा है, ताकि लागत और जन संसाधन के उपयोग को कम किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2029 से लोकसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए आयोग विधानसभाओं के कायर्काल को कम करने या बढ़ाने का सुझाव दे सकता है।

यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जा रहा है कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हो सकें। ऐसी स्थिति में मतदाता दोनों चुनावों में मतदान के वास्ते केवल एक बार मतदान केंद्र पर जाएंगे। समिति ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए अपने वास्ते बजटीय प्रावधान को भी मंजूरी दे दी। केंद्रीय गृह मंत्री शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी बैठक में शामिल हुए। (एजेंसी)