Mallikarjun Kharge

Loading

नई दिल्ली: देश में एक साथ चुनाव कराने पर सरकार के जोर देने के बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने रविवार को कहा कि भारत के लोगों के पास 2024 के लिए ‘एक राष्ट्र, एक समाधान’ है और वह है भाजपा के ‘कुशासन’ से छुटकारा पाना। ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में खरगे ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवहार्यता को परखने के लिए केंद्र द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति को एक ‘चाल’ करार दिया और आरोप लगाया कि मोदी सरकार धीरे-धीरे भारत में लोकतंत्र की जगह तानाशाही लाना चाहती है।

सरकार ने शनिवार को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव साथ-साथ कराने की संभावना को परखने और सुझाव देने के लिए एक आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति के गठन की अधिसूचना जारी की जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। 

इसके कुछ घंटों बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, जो समिति में शामिल विपक्ष के इकलौते नेता हैं, ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर समिति का सदस्य बनने से इनकार किया।  अपने पोस्ट में खरगे ने कहा, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव पर समिति बनाने की यह चाल भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने का एक हथकंडा है।

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसी नाटकीय कार्रवाइयां हमारे लोकतंत्र, संविधान और समय की कसौटी पर खरी उतरीं विकसित प्रक्रियाओं को नष्ट कर देंगी। साधारण चुनाव सुधारों से जो हासिल किया जा सकता है वह प्रधानमंत्री मोदी के अन्य विध्वंसक विचारों की तरह एक आपदा साबित होगा।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 1967 तक भारत में ना तो इतने राज्य थे और ना ही पंचायतों में 30.45 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि थे। खरगे ने कहा, ‘‘हमारे पास लाखों निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और अब उनका भविष्य एक साथ निर्धारित नहीं किया जा सकता। वर्ष 2024 के लिए भारत के लोगों के पास ‘एक राष्ट्र, एक समाधान’ है, और वह है भाजपा के कुशासन से छुटकारा पाना।”

खरगे ने कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में कम से कम पांच संशोधन और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में व्यापक बदलाव की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि निर्वाचित लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ स्थानीय निकायों के स्तर पर कार्यकाल को छोटा करने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी ताकि इनका एकसाथ चुनाव हो सके।  

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा, ‘‘अहम सवाल हैं-किसी भी व्यक्ति की सूझबूझ को कमतर समझे बिना, क्या प्रस्तावित समिति भारतीय चुनावी प्रक्रिया में शायद सबसे गंभीर व्यवधान पर विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने के लिए सबसे उपयुक्त है? क्या इतनी बड़ी कवायद राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर राजनीतिक दलों से परामर्श किए बिना एकतरफा की जानी चाहिए?”

खरगे ने आश्चर्य जताया कि समिति में निर्वाचन आयोग का कोई प्रतिनिधि नहीं शामिल है। खरगे ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग ने 2014-19 (2019 के लोकसभा चुनाव सहित) के बीच चुनावों पर लगभग 5,500 करोड़ रुपये खर्च किए जो सरकार के व्यय बजट का मामूली हिस्सा है। उन्होंने कहा कि खर्च बचाने का तर्क कुछ है जैसे कि छोटी राशि बचाने में समझदारी दिखाना पर मूखर्तापूर्ण तरीके से बड़ी राशि खर्च कर देना।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा को लोगों के जनादेश की अवहेलना करके चुनी हुई सरकारों को उखाड़ फेंकने की आदत है, जिससे 2014 के बाद से संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के लिए 436 उपचुनाव कराने पड़े।  कांग्रेस के चौधरी के अलावा, सरकार ने गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी को उच्च स्तरीय समिति के सदस्य के रूप में नामित किया है।  (एजेंसी)