नई दिल्ली. भाजपा (BJP) विरोधी कई पार्टियों के नेताओं की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर मंगलवार को एक बैठक हुई। इस बैठक को भगवा दल को कहीं अधिक मजबूत चुनौती देने के लिए विपक्षी नेताओं के एकजुट होने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, बैठक में शामिल हुए नेताओं ने इसके राजनीतिक महत्व को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की और इसे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के राष्ट्र मंच के बैनर तले समान विचार वाले लोगों के बीच एक संवाद बताया।
यह बैठक शरद पवार के घर चार बजे के बाद शुरू हुई और लगभग छह घंटे तक चली। इस बैठक में शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले, कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा, एनसीपी के राज्यसभा सांसद माजिद मेमन, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, सीपीआई नेता बिनय विश्वम, सीपीएम नेता निलोत्पल बासु, टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा, एनसीपी से राज्यसभा सांसद वंदन चव्हाण शामिल, पूर्व राजदूत केसी सिंह, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी, पूर्व सांसद जयंत चौधरी और आप के सुशील गुप्ता, नागरिक समाज संस्थाओं के कई सदस्य बैठक में शामिल हुए।
बैठक में कांग्रेस के कुछ नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन उनमें से किसी के शरीक नहीं होने से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि मुख्य विपक्षी पार्टी क्षेत्रीय दलों के नेतृत्व वाले मोर्चे का हिस्सा नहीं बनना चाहती है।
#WATCH | Leaders of different Opposition parties and other eminent personalities hold a meeting at the residence of NCP chief Sharad Pawar in New Delhi pic.twitter.com/vEdfXnmqPX
— ANI (@ANI) June 22, 2021
पवार के आवास पर बैठक में शामिल हुए माकपा के नीलोत्पल बसु ने कहा कि उन्होंने कोविड प्रबंधन, बेरोजगारी जैसे शासन के मुद्दे तथा भाजपा द्वारा संस्थाओं पर किये जा रहे कथित हमले पर चर्चा की। साथ ही, उन्होंने बैठक के राजनीतिक महत्व को तवज्जो नहीं दी।
बैठक के बाद एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा कि कुछ मीडिया में ऐसा कहा जा रहा है कि यह मीटिंग भाजपा के खिलाफ मोर्चा तैयार करने के लिए बुलाई गई है, लेकिन ऐसा नहीं है। मेमन ने कहा कि “ऐसा चल रहा है कि यह बैठक शरद पवार ने बुलाई थी। ऐसा नहीं है। यह बैठक राष्ट्र मंच के प्रमुख यशवंत सिन्हा ने बुलाई थी। हम सभी राष्ट्र मंच के फाउंडिंग मेंबर हैं।”
मेमन ने कहा कि कोई राजनीतिक भेदभाव नहीं है। मैंने खुद विवेक तनखा, मनीष तिवारी, शत्रुघ्न सिन्हा, अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल जैसे नेताओं को आमंत्रित किया था। लेकिन इनमें से कोई भी नेता इस समय दिल्ली में नहीं है। इसलिए कांग्रेस बैठक में शामिल नहीं हो सकी।”
मालूम हो कि अगले साल उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों के अलावा कई अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में क्षेत्रीय क्षत्रपों और गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की कोशिश को मुख्य रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रति लक्षित देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के बाद से उसके खिलाफ कांग्रेस की तुलना में क्षेत्रीय दलों ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया है और उनके द्वारा कहीं अधिक एकजुट तरीके से मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देने का विचार हाल के समय में दृढ़ हुआ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने मार्च में भाजपा विरोधी 15 पार्टियों (कांग्रेस सहित) के नेताओं को पत्र लिख कर भगवा पार्टी के खिलाफ अधिक एकजुट लड़ाई लड़ने का अनुरोध किया था। (एजेंसी इनपुट के साथ)