नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की। इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और यूके अंतरिक्ष एजेंसी (UK Space Agency) ने इसरो को ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी।
नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग पर इसरो को बधाई! और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान की सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बनने पर भारत को बधाई। हमें इस मिशन में आपका भागीदार बनकर खुशी हो रही है!”
Congratulations @isro on your successful Chandrayaan-3 lunar South Pole landing! And congratulations to #India on being the 4th country to successfully soft-land a spacecraft on the Moon. We’re glad to be your partner on this mission! https://t.co/UJArS7gsTv
— Bill Nelson (@SenBillNelson) August 23, 2023
यूके अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स पर लिखा, “इतिहास बन गया! इसरो को बधाई।”
History made! 🇮🇳🌖
Congratulations to @isro 👏#Chandrayaan3 https://t.co/6bPUfA3yXy
— UK Space Agency (@spacegovuk) August 23, 2023
वहीं, दूसरे पोस्ट में यूके अंतरिक्ष एजेंसी ने गोनहिली सैटेलाइट अर्थ स्टेशन के पोस्ट को शेयर किया जिसमें कहा गया, “सफलता! चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनने पर भारत को बधाई! हम शीघ्र ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट अपनी स्थिति से लैंडर के साथ संचार करेंगे!” अन्य पोस्ट में लिखा, इसके अलावा, निश्चित रूप से (!) भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने का जश्न मना रहा है!
Success! Congratulations to India for becoming the fourth nation to achieve a soft landing on the Moon! 🎉🌖
We'll be communicating with the lander from its position near the lunar South Pole, shortly! 📡#Chandrayaan3 https://t.co/1xb9f6enjj
— Goonhilly (GES Ltd) 📡 (@goonhillyorg) August 23, 2023
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के महानिदेशक जोसेफ एशबैकर ने एक्स पर लिखा, “अविश्वसनीय! इसरो, #चंद्रयान-3 और भारत के सभी लोगों को बधाई!! नई तकनीकों को प्रदर्शित करने और किसी अन्य खगोलीय पिंड पर भारत की पहली सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने का यह कैसा तरीका है। शाबाश, मैं पूरी तरह प्रभावित हूं। और इस प्रक्रिया में आपके बहुमूल्य समर्थन के लिए एक बार फिर ESA ऑपरेशन्स को बधाई। हम भी महान सबक सीख रहे हैं और महत्वपूर्ण विशेषज्ञता प्रदान कर रहे हैं। एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदार एक शक्तिशाली साझेदार होता है।”
Incredible! Congratulations to @isro, #Chandrayaan_3, and to all the people of India!!
What a way to demonstrate new technologies AND achieve India’s first soft landing on another celestial body. Well done, I am thoroughly impressed.
And kudos once again to @esaoperations for… https://t.co/GT3kyWHP6L
— Josef Aschbacher (@AschbacherJosef) August 23, 2023
लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम ने बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है।
इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन “चंद्रयान-3” के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को चूम कर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नयी इबारत रची। वैज्ञानिकों के अनुसार इस अभियान के अंतिम चरण में सारी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चली। यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी बांधे देख रहा था।
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ‘पॉवर ब्रेकिंग फेज’ में कदम रखता है और गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन की ‘रेट्रो फायरिंग’ करके उनका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है।
उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर ‘क्रैश’ न हो जाए। अधिकारियों के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल हुआ और बाकी दो इंजन बंद कर दिए गए, जिसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ (सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके) देना था।
अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर ने अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच की कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर दिया। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडर की गति को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में पुन: निर्देशित करने की क्षमता लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगी।
अधिकारियों के मुताबिक, सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरा, जो रैंप के रूप में इस्तेमाल हुआ। इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा। हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है।