Feeling of pride towards Indian culture is the basis of national consciousness said President Murmu
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (फाइल फोटो)

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नई दिल्ली. देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या (सोमवार, 14 अगस्त) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा, मेरे प्यारे देशवासियो, देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को मेरी हार्दिक बधाई! यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है। चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।

उन्होंने कहा कि यह देखना हमारे लिए खुशी के साथ-साथ गर्व की बात है कि भारत में हर जगह, शहरों और गांवों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग कैसे उत्साहित हैं और हमारी आजादी के इस त्योहार को मनाने की तैयारी कर रहे हैं। लोग बड़े उत्साह के साथ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं।

उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है। लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना।”

महिला स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, “स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं अपने साथी नागरिकों के साथ उन ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिनके बलिदानों ने भारत को राष्ट्रों के समुदाय में अपना उचित स्थान फिर से हासिल करना संभव बना दिया है। मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जैसी महान महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत-माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। मां कस्तूरबा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह की कठिन राह पर कदम-कदम पर कदम बढ़ाया।”

महिला सशक्तीकरण को लेकर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारे देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक सशक्तिकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है।” उन्होंने कहा, “मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूँ कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियाँ साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। महिलाओं का विकास हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों में से एक था।”

उन्होंने कहा, “आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं। आज हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।”

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “आज हम देखते हैं कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना उचित स्थान पुनः प्राप्त किया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भी अपनी प्रतिष्ठा बढ़ायी है। भारत दुनिया भर में विकासात्मक और मानवीय लक्ष्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसने अंतर्राष्ट्रीय मंचों, विशेषकर जी-20 की अध्यक्षता का नेतृत्व भी संभाला है। चूंकि जी-20 दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह वैश्विक चर्चा को सही दिशा में आकार देने में मदद करने का एक अनूठा अवसर है। जी-20 की अध्यक्षता के साथ, भारत व्यापार और वित्त में निर्णय लेने को समान प्रगति की ओर ले जा सकता है। व्यापार और वित्त के अलावा मानव विकास के मामले भी एजेंडे में हैं। मुझे विश्वास है कि वैश्विक मुद्दों से निपटने में भारत के सिद्ध नेतृत्व के साथ, सदस्य देश इन मोर्चों पर प्रभावी कार्रवाई को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे।”

देश की जीडीपी ग्रोथ को लेकर राष्ट्रपति ने कहा, “देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली जीडीपी ग्रोथ भी दर्ज की है। हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है। विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौर से गुजर रही हैं। वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व-समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया था कि आंतरराष्ट्रीय पटल पर हो रही घटनाओं अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया है। फिर भी सरकार कठिन परिस्थियों का अच्छी तरह सामना करने में सक्षम रही है।”

देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि भी दर्ज की है।” राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्र उनका ऋृणी है।” उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं। मुर्मू ने कहा कि मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जन सामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव पड़ने नहीं दिया है और गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है।

नयी शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वह स्वयं एक शिक्षक रही हैं, इस नाते उन्होंने समझा है कि शिक्षा समाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों और शिक्षाविदों के साथ उनकी बातचीत से यह पता चला कि अध्ययन की प्रक्रिया अधिक लचीली हो गई है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस दूरदर्शी नीति का एक प्रमुख उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल के साथ जोड़ना है। इससे आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और परिणामस्वरूप देश में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा। अंतरिक्ष कार्यक्रम और चंद्रयान-3 अभियान का जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा कि आज के नए भारत की महत्वाकांक्षाओं के नए क्षितिज असीम हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष इसरो ने चंद्रयान-3 प्रक्षेपित किया है जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अनुसार उसका ‘विक्रम’ नामक लैंडर तथा ‘प्रज्ञान’ नामक रोवर अगले कुछ ही दिनों में चंद्रमा पर उतरेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम सभी के लिए वह गौरव का क्षण होगा और मुझे भी उस पल का इंतजार है। चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है। हमें बहुत आगे जाना है।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को दुनियाभर के वैज्ञानिकों एवं नीति निर्माताओं से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पर विशेष ध्यान देने की अपील की, जिसके कारण अचानक बाढ़, सूखे जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर कर रही है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान एवं विज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करना ही हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि हमारे लिए वे मानवता के विकास के साधन हैं। उन्होंने कहा कि एक क्षेत्र जिस पर पूरे विश्व के वैज्ञानिक और नीति निर्माताओं को और अधिक तत्परता से ध्यान देना चाहिए वह है-जलवायु परिवर्तन। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में बेहद विषम मौसम की घटनाएं हुई हैं, देश के कुछ हिस्सों में असाधारण बाढ़ का सामना करना पड़ा है, कुछ स्थानों को सूखे की मार झेलनी पड़ी है। राष्ट्रपति ने कहा, “इन सबका एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग को भी माना जाता है। अत: पर्यावरण के हित में स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर प्रयास करना अनिवार्य है।”