नई दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) आज यानी 29 जून को दो दिन के दौरे पर मणिपुर (Manipur) जा रहे हैं। इस बाबत वो दिल्ली में अपने आवास से निकल गए हैं। वो आज और कल मणिपुर में रहेंगे।
#WATCH | Congress leader Rahul Gandhi leaves for Manipur from his residence in Delhi
Rahul will be in Manipur on June 29 and 30 during which he will visit relief camps and interact with civil society representatives in Imphal and Churachandpur. pic.twitter.com/DuZLWQSR2L
— ANI (@ANI) June 29, 2023
इस बाबत मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष ओकराम इबोबी सिंह ने जानकारी दी कि, राहुल यहां कई राहत शिविरों का दौरा करेंगे। साथ ही सिविल सोसाइटी के नेताओं, सीनियर सिटिजन और कई नेताओं से भी वे मिलेंगे। पता हो कि, मणिपुर में बीते 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। वहीं इस हिंसा में अब तक 131 लोगों की जान गई है।
आगजनी की 5000 से ज्यादा घटनाएं
वहीं इस हिंसा को देखते हुए राज्य में आगामी 30 जून तक इंटरनेट पर प्रतिबंध और बढ़ा दिया गया है। वहीं मामले पर हुई सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्रालय ने हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत की जानकारी दी थी। इसके साथ ही हिंसक घटनाओं में 419 लोग घायल हुए हैं। राज्य में आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। विभिन्न घटनाओं पर 6000 मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में अब तक 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 IPS तैनात किए गए हैं।
क्यों हुआ विवाद
दरअसल मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इस बाबत मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में जब मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
इधर बाकी दोनों जनजाति नगा-कुकी, इस मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का भी बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण पर नजर
देखा जाए तो मणिपुर राज्य के के 60 विधायकों में से 40 विधायक अकेले मैतेई और बाकी 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। वहीं राज्य में निर्वाचित हुए अब तक 12 मुख्यमंत्रियों में से सिर्फ 2 ही इन जनजाति से रहे हैं।