Rajasthan Assembly Elections 2023
फोटो में बाईं ओर राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं और दाहिने ओर गृह मंत्री अमित शाह

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जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) का आगामी विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections 2023 ) नजदीक है। कांग्रेस  (Congress)  एक बार फिर से सत्ता में रह कर राज करना चाहती है। वहीं बीजेपी भी राजस्थान की जनता से खोया हुआ प्यार और समर्थन पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है, लेकिन इस बीजेपी (BJP) और महारानी यानी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे के बीच सबकुछ ठीक न चलने की खबर आ रही है। ये बात राजस्थान में पीएम मोदी के कार्यक्रम बाद से सामने आने लगी है। 

गुलाबी नगरी में अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह
विपक्षी पार्टी बीजेपी ने चुनाव से पहले सभी दो सौ विधानसभा सीटों तक पहुंचने के लिए परिवर्तन यात्राओं का सहारा लिया जो अब पूरी हो चुकी हैं। परिवर्तन रैलियों के समापन पर बीजेपी ने राजधानी जयपुर में बड़ी जनसभा की जिसे संबोधित करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे। पीएम मोदी के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह गुलाबी नगरी में हैं।

वसुंधरा राजे के साथ भी बैठक
जेपी नड्डा और अमित शाह राजस्थान बीजेपी कोर कमेटी की मैराथन मीटिंग में शामिल हुए। कोर कमेटी के बाद प्रभारियों की भी बैठक हुई और फिर नड्डा-शाह और बीएल संतोष ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ भी बैठक की। वसुंधरा राजे और नड्डा-शाह की बैठक करीब 40 मिनट तक चली। इस बैठक में किन विषयों पर बात हुई, इस संबंध में अधिक जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन इसे पीएम मोदी के कार्यक्रम के बाद वसुंधरा की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है।

पीएम मोदी के कार्यक्रम से बिगड़ी बात
पीएम मोदी के कार्यक्रम में गजेंद्र सिंह शेखावत से लेकर सीपी जोशी तक, सूबे के लगभग सभी बड़े नेताओं ने मंच से अपनी बात रखी थी। बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। वसुंधरा को मंच पर जगह तो मिली लेकिन बोलने का मौका नहीं मिला। वसुंधरा समर्थक इसे अपनी नेता का अपमान बता रहे हैं. वसुंधरा की नाराजगी की चर्चा भी थी। राजस्थान में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा से दूरी और कई जगह भीड़ न जुटने से हुई किरकिरी को देखते हुए भी बीजेपी सतर्क है। इन मुद्दों पर कोर कमेटी की बैठक में भी बात हुई।

तो इसलिए नाराज हैं महारानी 
कोर कमेटी की बैठक में नड्डा और शाह ने ये भी साफ कर दिया कि पार्टी किसी को चेहरा बनाए बिना सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में बोलने का मौका नहीं मिलने और चेहरा नहीं बनाए जाने को लेकर वसुंधरा की नाराजगी दूर करने के लिए नड्डा-शाह और बीएल संतोष ने उनके साथ अलग से बैठक की।

सीएम चेहरे से भी आगे निकली बात
बात बस सीएम चेहरे तक ही सीमित नहीं है। टिकट बंटवारे का मामला भी अटका है। बीजेपी मध्य प्रदेश के लिए उम्मीदवारों की दो और छत्तीसगढ़ के लिए उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी कर चुकी है लेकिन राजस्थान से एक भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया जा सका है। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व सूबे के करीब 30 से 35 वसुंधरा समर्थक विधायकों के टिकट काटना चाहता है जिसे लेकर राजे को आपत्ति है। 

इनके बीच अच्छी पैठ है महारानी की
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में सीटों का ये आंकड़ा कुल सदस्य संख्या का 30 फीसदी पहुंचता है। वोटों के गणित की बात करें तो वसुंधरा महिला वोट के साथ ही राजपूत, जाट और ओबीसी वोट बैंक में भी मजबूत पैठ रखती हैं। महिला आरक्षण बिल संसद से पास होने के बाद भी वसुंधरा ने अपने आवास पर रक्षा सूत्र कार्यक्रम के जरिए भी ताकत का प्रदर्शन किया था। वसुंधरा को रक्षा सूत्र बांधने बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची थीं।

राजस्थान को लेकर राजे ने कही ये बात
वसुंधरा ने तब साफ कहा था कि मैं राजस्थान छोड़ने वाली नहीं हूं। यहीं रहकर लोगों की सेवा करूंगी। पीएम मोदी के राजस्थान दौरे से ठीक पहले वसुंधरा के इस बयान को बीजेपी नेतृत्व के लिए संदेश की तरह देखा गया। परिवर्तन यात्रा से दूरी, पीएम मोदी के कार्यक्रम में बोलने का मौका नहीं मिलने के बाद अब वसुंधरा राजे की नड्डा-शाह के साथ मैराथन बैठक के बाद चर्चा तेज हो गई है कि वसुंधरा को लेकर बीजेपी में आखिर चल क्या रहा है?