नई दिल्ली: देश में कृषि बिलों (Agriculture Bill) का आंदोलन लगातार उग्र होता जारहा है. एक ओर केंद्र सरकार (Central Government) जहां आंदोलन को समाप्त करने के लिए बातचीत में लगी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर किसान (Farmer) अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। रविवार को किसानों के इस आंदोलन को लेकर हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री (Himachal Former CM) और वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार (Shanta Kumar) ने कहा कि,” इस आंदोलन को किसान नहीं बल्कि राजनेता, बिचौलिए और कमीशन एजेंट चल रहे।”
शांता कुमार ने कहा, “कुछ बिचौलिए, कमीशन एजेंट और राजनीतिक नेता इस आंदोलन को चला रहे हैं। निहित स्वार्थ वाले लोग देश में इस तरह के आंदोलन शुरू करते हैं। कृषि कानून किसानों के पक्ष में हैं।”
Some middlemen, commission agents & political leaders are running this movement. Those with vested interests start such movements in the country. The farm laws are in favour of the farmers: BJP leader and former Himachal Pradesh CM Shanta Kumar on farmers’ protest pic.twitter.com/ydso8MKSwV
— ANI (@ANI) December 13, 2020
किसान आंदोलन का 18वा दिन
कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन आज 18वा दिन है। किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी के साथ मांग नहीं मनाने पर आंदोलन को और तीव्र करने की घोषणा कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर दिल्ली जयपुर-हाईवे को अवरुद्ध करने के लिए बड़ी संख्या में किसान राजस्थान बॉर्डर पर पहुंचें हैं।
किसान कल करेंगे भूख हड़ताल
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर दवाब बनाने के लिए अब भूख हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है। रविवार को सिघु बॉर्डर (Singhu Border) पर आयोजित प्रेस वार्ता में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chadhuni) ने कहा, “सोमवार को सारे संगठनों के मुखिया सुबह 8 बजे से शाम पांच बजे तक एक दिन के लिए भूख हड़ताल रखेंगे।
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने 20 अगस्त, 2014 को भारतीय खाद्य निगम की प्रचालनात्मक कार्य कुशलता और वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए शांता कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 21 जनवरी, 2015 को “भारतीय खाद्य निगम की भूमिका को नई शिक्षा देने तथा इसके पुनर्नवीनीकरण के बारे में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट” प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को सौंप दी।
शांता कुमार ने अपनी रिपोर्ट ने कृषि क्षेत्र में कई बदलाव करने के सुझाव दिए थे। जिसमें उन्होने गेहूं, धान और चावल की सरकारी खरीद से संबंधित सभी क्रियाकलाप (Coopration) भारतीय खाद्य निगम द्वारा राज्यों को सौंपने, किसानों को फसल में खुले बाजार में बेचने, मौजूदा कानून में बदलाव करने जैसे कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे।