
नई दिल्ली: लोकतंत्र यह देश की न केवल सिर्फ देश में बल्कि पुरे विश्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लोकतांत्रिक देश की नींव वहां के नागरिकों को मिले मतदान के अधिकार पर निर्भर करती है। भारत एक लोकतांत्रिक और संवैधानिक देश है, जहां जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन होता है। भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 में देश में संविधान लागू हुआ। भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिकों को कुछ अधिकार दिए गए।
इन अधिकारों के साथ ही आदर्श नागरिक के लिए कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किए गए। संविधान में भारत के नागरिक के जो कर्तव्य हैं, उनमें से एक मतदान का अधिकार है। वोटर का बहुमूल्य मत दल विशेष को पांच साल के लिए सत्ता में लाता है। इस तरह के देश व राज्य के लिए विकास के लिए एक नागरिक होने का कर्तव्य पूरा कर सकते हैं।
हालांकि देश में मतदान का रुझान कम है। वोटरों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष जनवरी माह में राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। 18 वर्ष की आयु के बाद हर आयु, वर्ग और लिंग के लोगों को मतदान का अधिकार है। आइए जानते हैं राष्ट्रीय मतदाता दिवस क्यों और कब से मनाने की शुरुआत हुई।
मतदान को लेकर भारत में रुझान कम है। अभी तक देश में महिलाएं और कई वर्ग के लोग मतदान के अधिकार का उपयोग नहीं करते हैं। हालांकि देश की तरक्की के लिए हर एक वोट जरूरी है। इसलिए मतदाता दिवस मनाने का उद्देश्य सभी पात्र मतदाताओं की पहचान करके उन्हें वोट देने के लिए प्रेरित करना है।