UP were headlines in politics spirituality and crime End of The Year 2023, Uttar Prdesh
साल 2023 में यूपी में घटित हुए घटनाओं की फोटो के माध्यम से झलक दिखाने की कोशिश

Loading

नवभारत स्पेशल डेस्क : उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी में जहां एक ओर राम मंदिर निर्माण ने गति पकड़ी, वहीं जाते हुए साल में दो और मंदिर-मस्जिद (Kashi-Mathura) विवाद अदालतों में एक खास पड़ाव तक पहुंचने से सुर्खियों में आ गए। इसके अलावा गैंगस्टर से राजनीतिक नेता बने पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई एवं पूर्व विधायक अशरफ अहमद की इस साल तब गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब पुलिस उन्हें अस्पताल ले जा रही थी। यही नहीं  इस साल बाहुबली मुख्तार अंसारी और आजम खान को भी बड़ा सियासी झटका लगा। 

वाराणसी और मथुरा पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले

 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दो फैसले सुनाए जिससे वाराणसी और मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद सुर्खियों में आ गया। ये दोनों मामले प्रमुख मंदिरों के पास मस्जिदों के स्थित होने से संबंधित हैं। इन दोनों मामले में, हिंदू पक्ष का तर्क है कि मस्जिदें मुगल शासन के दौरान गिराए गए मंदिरों के कुछ हिस्सों पर बनी हैं। उच्‍च न्‍यायालय ने हाल में मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।  इससे पहले, एक स्थानीय अदालत के आदेश पर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)  ने काशी-विश्वनाथ मंदिर के बगल में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण किया था। फिलहाल सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में है।   

मुस्लिम पक्ष का तर्क खारिज 

हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के इस तर्क को खारिज कर दिया कि पूजा स्थल (Special Provisions) अधिनियम, 1991 की वजह से मामले में कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।  संबंधित अधिनियम में 15 अगस्त 1947 के समय मौजूद किसी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को बदलने पर रोक लगाने की बात कही गई है, लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा है कि धार्मिक स्वरूप केवल दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए सबूतों के माध्यम से अदालत में निर्धारित किया जा सकता है।  न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा कि या तो ज्ञानवापी परिसर में हिंदू धार्मिक चरित्र है या मुस्लिम धार्मिक चरित्र है तथा इसमें एक ही समय में दोहरा चरित्र नहीं हो सकता। 

राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता को लेकर ट्रस्ट के सुझाव से मामूली विवाद

लंबे समय तक मंदिर-मस्जिद विवाद का सामना करने वाली अयोध्या नगरी में 22 जनवरी को नए मंदिर में रामलला के विग्रह की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ की तैयारियां जोरों पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस भव्‍य कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह घटनाक्रम 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले होगा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के इस सुझाव से मामूली विवाद खड़ा हो गया कि अच्छा रहेगा यदि बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, जो राम मंदिर आंदोलन में सबसे आगे थे, अपनी उम्र और स्वास्थ्य के कारण इस कार्यक्रम में शामिल न हों। मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या में सड़कों के चौड़ीकरण से लेकर नए हवाई अड्डे के निर्माण कार्य तक बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी आई है। 

राजनीति में उलटफेर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 में आए सुप्रीम कोर्ट  के फैसले की सालगिरह पर शहर में मंत्रिमंडल की बैठक भी बुलाई, जिसमें उनके मंत्री लखनऊ से वहां पहुंचे। सितंबर 2023 में मऊ जिले के घोसी में एक विधानसभा उपचुनाव ने विपक्ष के ‘इंडिया’ समूह के लिए कुछ उम्मीद जगाई, जिसका लक्ष्य 2024 में भाजपा से मुकाबला करना है। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार और पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान को हरा दिया। 

सीट-बंटवारे को घमासान

कांग्रेस और बसपा ने चुनाव में भाग लेने से परहेज किया। हालांकि कांग्रेस और वाम दलों ने सुधाकर सिंह को अपना समर्थन दिया। लेकिन हालिया विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से घमासान मच गया। मध्य प्रदेश में सीट-बंटवारे की विफल वार्ता पर टिप्पणियों को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उप्र कांग्रेस प्रमुख अजय राय पर निशाना साधा।  फिलहाल, अखिलेश 2024 में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में ज्यादा जगह देने के मूड में नहीं दिखते।    

सपा के हाथ से निकला रामपुर का दबदबा

 दशकों तक रामपुर जिले की राजनीति में दबदबा रखने वाले सपा के मुस्लिम चेहरे आजम खान को अपने गढ़ में 2023 में बड़ा झटका लगा। रामपुर में स्वार विधानसभा सीट को, जो उनके बेटे को 15 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद विधानसभा से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद खाली हो गई थी, मई में बीजेपी के सहयोगी अपना दल (S) ने छीन लिया था। इससे पहले आजम खान खुद भी पिछले साल इसी तरह रामपुर सदर सीट से अयोग्य घोषित कर दिए गए थे। 

अपराध में लिप्त नेताओं से छिनी शक्तियां

मऊ से पांच बार विधायक और बाहुबली नेता  मुख्तार अंसारी को एक और मामले में सजा सुनाई गई। इस बीच, अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद उसके बड़े भाई और गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया। मई में स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान अपने भाषणों में, आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को अपराध के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ वाले राज्य के रूप में पेश किया। लेकिन देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में अपराध की घटनाएं नियमित रूप से सुर्खियों में बनी रहीं। अक्टूबर में भूमि विवाद को लेकर देवरिया में छह लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें से पांच एक ही परिवार के थे। इस हत्याकांड पर ब्राह्मण बनाम यादव की राजनीति चली। 

अपराधियों का धड़ाधड‍़ गिरा विकेट

साल की सबसे भयानक वीडियो क्लिप अप्रैल में गैंगस्टर से राजनीतिक नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई एवं पूर्व विधायक अशरफ अहमद की हत्या की थी। जब पुलिस उन्हें अस्पताल ले जा रही थी तो पत्रकारों के भेष में आए तीन हमलावरों ने मीडिया के कैमरों के सामने दोनों भाइयों को गोलियों से भून दिया। लगभग दो दशक पहले हुई  विधायक राजूपाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेशपाल की 24 फरवरी को हुई हत्या के सिलसिले में दोनों भाइयों को उप्र पुलिस गुजरात और बरेली की जेलों से प्रयागराज ले आई थी। अतीक अहमद ने आशंका जताई थी कि प्रयागराज जाते समय यूपी पुलिस उसे फर्जी मुठभेड़ में मार सकती है।

गैंगेस्टर अतीक अहम और उसके भाई की हत्या

अतीक अहमद और उसके भाई से पहले, उमेशपाल हत्याकांड में कथित रूप से शामिल चार और लोग कुछ ही दिनों में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे। पुलिस का दावा है कि हमला किए जाने पर पुलिस ने जवाबी गोलीबारी की। जब उमेशपाल की हत्या का मामला राज्य विधानसभा में अखिलेश यादव द्वारा उठाया गया, तो आदित्यनाथ ने ऐसे माफिया को धूल में मिलाने की कसम खाई थी। उन्होंने कहा था, ‘मिट्टी में मिला देंगे।’