नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड (Uttrakhand) की बड़ी खबर के अनुसार, अब से कुछ देर पहले यहां की विधानसभा (Vidhan Sabha) में आज समान नागरिक संहिता कानून यानी UCC का ड्राफ्ट पेश हुआ। आज राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने विधानसभा में UCC का ड्राफ्ट टेबल किया। उन्होंने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। UCC पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।
#WATCH | “Vande Mataram and Jai Shri Ram” slogans raised by MLAs inside State Assembly after CM Dhami tabled the Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill in State Assembly, in Dehradun. pic.twitter.com/0R7ka2pYJD
— ANI (@ANI) February 6, 2024
वहीं आज समान नागरिक संहिता 2024 सदन में पेश किए जाने के बाद उत्तराखंड विधानसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे स्थगित कर दी गई है। ऐसा भी माना जा रहा है कि लंच के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होगी। वहीँ आज यूसीसी बिल पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी CM और BJP नेता केपी मौर्य ने कहा “हम इसका स्वागत करते हैं। BJP के तीन मुख्य मुद्दे थे: अयोध्या में रामलला का मंदिर, धारा 370 (जम्मू-कश्मीर) और समान नागरिक संहिता (यूसीसी)।।।मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बधाई देता हूं।”
#UPDATE | The proceedings of the House have been adjourned till 2 pm today. #UttarakhandCivilCode https://t.co/oFiChBumix
— ANI (@ANI) February 6, 2024
आज विधेयक पेश करने से पहले CM धामी ने ट्वीट कर कहा- देवभूमि उत्तराखण्ड के नागरिकों को एक समान अधिकार देने के उद्देश्य से आज विधानसभा में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया जाएगा। यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण है कि हम UCC लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने वाले देश के पहले राज्य के रूप में जाने जाएंगे। जय हिंद, जय उत्तराखण्ड
देवभूमि उत्तराखण्ड के नागरिकों को एक समान अधिकार देने के उद्देश्य से आज विधानसभा में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया जाएगा।
यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण है कि हम UCC लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने वाले देश के पहले राज्य के रूप में जाने जाएंगे।
जय हिंद, जय…
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 6, 2024
क्या है UCC ड्राफ्ट
इस UCC मसौदे में नागरिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को शामिल कर लिया गया है, जिसमें विरासत के अधिकार, अनिवार्य विवाह पंजीकरण और लड़कियों के लिए विवाह योग्य आयु बढ़ाने जैसी सिफारिशें शामिल हैं, जिससे शादी से पहले उनकी शिक्षा को सुविधाजनक बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त भी अपने विवाह को पंजीकृत कराने में विफल रहने वाले जोड़े सरकारी सुविधाओं के लिए अब अयोग्य होंगे, जिसे कानूनी दस्तावेजीकरण के लिए दरअसल एक दबाव के रूप में देखा जा रहा है।