किसने शुरू की थी राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाने की शुरुआत, जानें क्या है इसका उद्देश्य

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    भारत में हर साल 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस (National Voluntary Blood Donation Day) मनाया जाता है। व्यक्ति के शरीर में रक्त सबसे जरुरी है। जिसे इंसान जीवन और उसका शरीर चलता है। इस दिन को मनाने का भी उद्देश्य यही है कि लोगों को व्यक्ति के जीवन में रक्त कितनी आवश्यकता और महत्व होता है। इसके बारे में जानकारी देना, लोगों को जागरूक करना है।

    राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस इस दिन को मनाने की शुरुआत 1975 में 1 अक्टूबर को इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनो हेमेटोलॉजी द्वारा किया गया था। पहली बार इन्होंने ही इस दिवस को मनाया था। इंडियन सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एण्ड इम्यूनो हेमेटोलॉजी की स्थापना 22 अक्टूबर 1971 में डॉ. जे.जी.जौली और मिसीज के स्वरूप क्रिसेन के नेतृत्व में हुई। 

    राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस को मनाने का उद्देश्य

    इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूक करना।सफलतापूर्वक जरूरतमंद रोगियों की तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को प्राप्त करना।किसी भी तत्काल और गंभीर आवश्यकता के लिए ब्लड बैंक में रक्त का संग्रह करके रखना।उन लोगों को स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिये प्रोत्साहित करना जो केवल अपने मित्रों और रिश्तेदारों को रक्तदान करते हैं। उन लोगों को रक्त देने के लिये प्रेरित और प्रोत्साहित करना जो स्वस्थ होने के बाद भी रक्तदान में रुचि नहीं ले रहे हैं। बहुत सारे धन्यवाद के माध्यम से रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करना और उनके आत्मसम्मान को महत्व देना।

    राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस का महत्व

    व्यक्ति के शरीर में सबसे जरूरी है रक्त जीवन में बहुत महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि यह शरीर के ऊतकों और अंगों के लिए महत्वपूर्ण पोषण प्रदान करता है। राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस समाज में महान परिवर्तन लाने, जीवनरक्षी उपायों का अनुसरण करने और हिंसा और चोट के कारण गंभीर बीमारी, बच्चे के जन्म से संबंधित जटिलताओं, सड़क यातायात दुर्घटनाओं और कई आकस्मिक परिस्थितियों से निकलने के लिए मनाया जाता है। रक्तदान में हर  करने के लिए प्रोत्साहित करना। रक्त हर किसी के जीवन बचाता है।