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कब होगी जंग खत्म...

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नवभारत डेस्क : साल 2023  इजराइल-हमास युद्ध (Israel-Hans War) से लेकर यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमलों तक सशस्त्र संघर्षों का मूक गवाह रहा है। इनके साथ ही अफगानिस्तान (Afghanistan) से लेकर यमन (Yamen) तक अनेक देशों को भी 2023 में संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। अफ्रीका के देशों में हिंसा और तख्तापलट की घटनाओं ने उथल-पुथल मचा रखी है तो कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया के म्यांमा में धीरे-धीरे असैन्य युद्ध की स्थिति बन रही है। मध्य और दक्षिण अमेरिका में मादक पदार्थों के व्यापार से उपजी हिंसा ने खलबली मचा रखी है।

भारत और पाकिस्तान तनाव भी छुपा नहीं 

परमाणु शक्ति संपन्न भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव किसी से छिपा नहीं है। उत्तर कोरिया का परमाणु आयुध भंडार बढ़ता जा रहा है। ईरान पहले से कहीं अधिक यूरेनियम का संवर्द्धन कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने जुलाई में कहा था, ‘‘संघर्ष और अधिक जटिल, घातक और भयावह हो गए हैं। परमाणु युद्ध की संभावना को लेकर चिंताएं फिर से उभर रही हैं। संघर्ष और युद्ध के शस्त्रों की आशंकाओं से ऐसे नये रास्ते बन रहे हैं जिनमें मानवता विनाश के कगार पर पहुंच रही लगती है।” 

इजराइल-हमास का रक्तरंजित युद्ध

सात अक्टूबर को दोनों देशों के बीच भयावह युद्ध की शुरुआत हुई जब हमास चरमपंथियों ने इजराइल पर हमले कर 1,200 से अधिक लोगों को मार दिया और 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया। जवाबी कार्रवाई में इजराइल ने भी गाजा पट्टी पर हमले किए। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जवाबी हमलों का बड़ा अभियान छेड़ दिया।

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पिछले कुछ वर्षों में पहली बार इजराइल के सैनिक गाजा पट्टी पर पहुंचे और गाजा सिटी की ओर बढ़े। इस संघर्ष में गाजा पट्टी में 18,700 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबरें हैं। इजराइली और फलस्तीनी लोगों की बड़ी संख्या में मौत के खिलाफ दुनियाभर में प्रदर्शन शुरू हो गए। लेबनान के हिजबुल्ला समेत ईरान समर्थित मिलिशिया ने इजराइल पर हमले किए। इजराइल बार-बार हमास को समाप्त करने के अपने मकसद को दोहरा रहा है।

रूस और यूक्रेन के बीच खुनी जंग 

इजराइल-हमास के युद्ध ने 2023 के आखिर में यूक्रेन पर रूस के हमलों से ध्यान थोड़ा हटा लिया था। लेकिन इससे पहले के कुछ महीनों में दोनों ही तरफ युद्ध की स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ था। यूक्रेन को नए सिरे से जवाबी हमला शुरू करने से पहले टैंक, हथियार और पश्चिमी देशों से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ, जिसका उद्देश्य अज़ोव सागर तक पहुंचना माना जाता है।

लेकिन यूक्रेनी सेना को रूसी सैनिकों, कई रक्षा मोर्चों, बारूदी सुरंगों और अन्य खतरों का सामना करना पड़ा, जिससे या तो धीरे-धीरे लाभ हुआ, या बिल्कुल भी लाभ नहीं हुआ। पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ सार्वजनिक रूप से एकजुट रहे हैं और अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव सहित अन्य चुनाव इस बात को प्रभावित कर सकते हैं कि भविष्य में कीव को कितनी सहायता मिलेगी।

रूस को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। निजी सैन्य समूह वैग्नर के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन द्वारा मास्को की ओर कूच करने से रूस के लिए चुनौती खड़ी हो गई थी। हालांकि प्रिगोझिन ने अपने अभियान को रोक दिया था और कुछ हफ्ते बाद एक रहस्यमय, भीषण विमान दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गई।

अफ्रीका में आज भी अशांति

पूर्वी अफ्रीका के बड़े देश सूडान में अप्रैल में असैन्य युद्ध शुरू हो गया। देश की सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स नामक अर्द्धसैनिक बल आमने सामने थे। दोनों के बीच संघर्ष में खारतूम के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर गोलीबारी में विमानों में आग लग गई और सूडान को उसके नागरिकों को समुद्री, हवाई और जमीनी मार्ग से सुरक्षित निकालना पड़ा। इस संघर्ष में अब तक 9,000 लोग मारे जा चुके हैं। अफ्रीका में पिछले कुछ साल से जारी सैन्य तख्तापलट की घटनाएं भी नहीं थमी हैं। नाइजर में सैनिकों ने जुलाई में देश के लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित राष्ट्रपति को अपदस्थ कर दिया। एक महीने बाद ही गैबन में भी सैनिकों ने इसी तरह का तख्तापलट किया।

लेटिन अमेरिका में मादक पदार्थ से जुड़ी हिंसा

इधर मेक्सिको के अनेक हिस्सों में मादक पदार्थ तस्करी से जुड़ी हिंसा देखने को मिली। यह हिंसा मध्य अमेरिका के कुछ अन्य देशों तक पहुंच गई। सो इस प्रकार से देखा जाए तो विश्व पटल के अधिकांश  हिस्सों में युद्ध से लोग क्षुब्ध और परेशान हैं।  ऐसे में अब शांति स्थापना कब और कैसे हो? यह तो वक़्त और आने वाले साल पर भी निर्भर होता है।  (एजेंसी इनपुट के साथ)