license of the hawkers will be canceled
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    जलगांव. कड़े प्रतिबंध (Strict Restrictions) के बाद सरकार ने छोटे-मोटे फेरीवालों (Hawkers) को राहत देने के लिए आर्थिक सहायता (Help) देने की घोषणा की है, किंतु यह सहायता बहुत ही कम है। इतने में तो 1 महीने का दूध (Milk) भी नहीं आ सकता। इस धन राशि को फेरीवालों ने मामूली बताया है। इससे फेरीवालों के सामने महीने भर की रोजी-रोटी का प्रश्न गहरा गया है। शहर के फेरीवालों ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित सहायता बहुत ही कम है। इससे महीने भर का राशन (Ration) खरीदना भी संभव नहीं होगा। मांग की जा रही है कि सरकार वित्तीय सहायता की मात्रा बढ़ाए और अपंजीकृत फेरीवालों की भी मदद करे और फैसले पर पुनर्विचार करे।

    कोरोना की पृष्ठभूमि के कारण सरकार ने राज्य में 15 दिन का कर्फ्यू लगाया है।  इस अवधि के दौरान सभी व्यवसायों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। बस आवश्यक सेवाएं शुरू रहेंगी। इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान सड़कों पर छोटे-मोटे कारोबार करने वाले गरीब फेरीवालों को होगा। उनका कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है। उनकी आजीविका ठप पड़ी हुई है। इनका घर चलता रहे, इसके लिए सरकार ने 1500 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। फैसले से शहर के लगभग 3,000 पंजीकृत फेरीवाले लाभान्वित होंगे।

    शहर के लगभग 3,000 फेरीवाले होंगे लाभान्वित 

    हालांकि, लगभग साढ़े सात से आठ हजार फेरीवाले मनपा प्रशासन द्वारा पंजीकृत नहीं हैं। वे लाभ से वंचित होंगे। मांग की जा रही है कि सरकार को ऐसे अपंजीकृत फेरीवालों पर भी  विचार करना चाहिए, ताकि उनके घर में भी दो समय की रोटी मिल सके। सरकार ने बहुत ही अल्प मात्रा में आर्थिक सहायता घोषित की है, इसे बढ़ाया जाए। सरकार द्वारा लगाए गए 15 दिवसीय कर्फ्यू के दौरान सब्जी, फल, दूध, किराना दुकान, चिकित्सा, खुदरा विक्रेता, कृषि उपकरण और अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी व्यवसाय बंद हैं। विभिन्न प्रकार के कारोबार कर पेट पालने वाले अनेक फेरीवालों के भी कारोबार बंद हैं। जलगांव शहर में लगभग तीन से साढ़े तीन हजार पंजीकृत फेरीवाले हैं।  जलगांव महानगर निगम को कर्फ्यू के दौरान फेरीवालों को 1,500 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने का आदेश मिला है।

    सरकार से सहायता राशि बढ़ाने की मांग

    यह मदद महानगरपालिका प्रशासन पंजीकृत फेरीवालों को देगा। उपायुक्त संतोष वाहुले ने बताया कि प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। महानगर निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जिनके पास बैंक अकाउंट हैं, उनके खाते में राशि जमा कराई जाएगी। महानगर निगम के पास जेल प्रहरी वालों का बैंक अकाउंट उपलब्ध नहीं है, ऐसे लोगों से तत्काल मनपा प्रशासन को उनका बैंक अकाउंट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। सरकार की 1,500 रुपए की मदद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हॉकर्स सोपान पाटिल ने बताया कि 1,500 रुपए में घर चलाना लगभग असंभव है। इस राशि से पूरे महीने का दूध भी नहीं आएगा। तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। तेल 150 रुपए प्रति किलोग्राम है। अन्य किराने का सामान कहां से खरीदेंगे। राज्य सरकार को कम से कम 10,000 रुपए की सहायता देनी चाहिए। इसी तरह फेरीवालों के साथ ही ऑटोरिक्शा चालकों ने भी इसे ना काफी बताया है।