करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है। करवाचौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘करवा’ यानी ‘मिट्टी का बरतन’ और ‘चौथ’ यानि ‘चतुर्थी’। इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व माना गया है। करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को होता है। इस साल 4 नवंबर को देश भर में यह पर्व मनाया जाएगा।
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पति की उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय पूजा-अर्चना की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। करवा चौथ के दिन सुहागिनें दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार करती हैं। हम सब जानते हैं कि, पूजा-पाठ में लाल और पिले रंग के वस्त्र या साड़ी का विशेष महत्त्व होता है। ज्योतिषाचार्यों की माने तो, करवा चौथ के मौके पर स्त्रियों को राशि के अनुसार वस्त्र पहनकर पूजा करना चाहिए, इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
राशि के अनुसार शुभ रंग और पूजा का मुहूर्त-
मेष- गहरा लाल रंग
वृष- पीला रंग
मिथुन- हरा रंग
कर्क – गुलाबी रंग
सिंह- लाल रंग
कन्या – हरी धारियों वाला वस्त्र या साड़ी
तुला – सफेद कढ़ाई वाली गुलाबी अथवा पीली साड़ी
वृश्चिक – प्लेन साड़ी
धनु – हल्के पीले रंग के आउटफिट
मकर – कथई रंग का वस्त्र
कुम्भ – मैरून रंग
मीन – पीली साड़ी या आउटफिट
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ तिथि- 04 नवंबर 2020 (बुधवार)
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक
चंद्रोदय- रात 8 बजकर 16 मिनट पर
चतुर्थी तिथि आरंभ- सुबह 3 बजकर 24 मिनट पर (04 नवंबर)
करवा चौथ व्रत की सामग्री लिस्ट
चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।
करवा चौथ पूजा का मंत्र (Karwachauth mantra)
‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिव का, ‘ॐ षण्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गणेशाय नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चंद्रमा का पूजन करें।। करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर उसे भगवान को अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें और सुनें।